Bank Loan: बैंक लोन देते समय कई छूपे हुए चार्ज वसूल करते हैं, जिनके बारे में किसी को पता भी नहीं होता है। होम लोन देते समय बैंक कई तरह के चार्जेस लेते हैं। जिनके बारे में लोन फाइनल होने पर पता चलता है। भारत में होम लोन को रीफाइनेंस कराना या बैलेंस ट्रांसफर कराना एक अच्छा ऑप्शन हो सकता है, खासकर जब ब्याज दरों में कमी होती है। इससे आपके लोन की ब्याज दर घट सकती है और आपकी ईएमआई कम हो सकती है। लेकिन इससे पहले कि आप रीफाइनेंस करने का फैसला लें, इस प्रोसेस से जुड़ी छिपी कॉस्ट को समझना जरूरी है। ये कॉस्ट आपकी सेविंग को कम कर सकती हैं, इसलिए इनके बारे में जानना सही होगा।
प्रोसेसिंग चार्ज
बेसिक होम लोन के सीईओ और को-फाउंडर अतुल मोंगा के मुताबिक रीफाइनेंस कराते समय नया लोन लेना लोन के कुल अमाउंट पर 0.5% से 2% तक प्रोसेसिंग चार्ज ले सकता है। उदाहरण के लिए, अगर आपने ₹20 लाख का लोन लिया है, तो आपको ₹10,000 से ₹40,000 तक प्रोसेसिंग चार्ज देना पड़ सकता है। हालांकि, कुछ बैंक प्रमोशनल ऑफर्स के तहत छूट भी दे सकते हैं, लेकिन ये छूट कम ही मिलती है।
टेकनिकल और कानूनी चार्ज
नया बैंक या ऋणदाता संपत्ति की स्थिति और कानूनी डॉक्यूमेंट की जांच करता है। इसके लिए दो मुख्य प्रकार के चार्ज होते हैं:
कानूनी चार्ज: यह फीस वकील या कानूनी टीम को दी जाती है जो प्रॉपर्टी के टाइटल की जांच करती है। यह चार्ज ₹5,000 से ₹15,000 के बीच हो सकता है।
टेकनिकल चार्ज: यह चार्ज एसेट के मूल्यांकन के लिए होता है। यह चार्ज ₹3,000 से ₹5,000 तक हो सकता है।
रजिस्ट्रेशन चार्ज और स्टाम्प ड्यूटी
कुछ राज्यों में रीफाइनेंस कराते समय मौजूदा लोन एग्रीमेंट को फिर से स्टाम्प और रजिस्टर करना पड़ता है। स्टाम्प ड्यूटी प्रॉपर्टी की कीमत पर निर्भर करती है और यह 3% से 7% तक हो सकती है। इसके अलावा रजिस्ट्रेशन चार्ज भी ₹50,000 से 1% तक हो सकता है। कुछ राज्यों में यह चार्ज अधिक भी हो सकता है, जैसे कि हिमाचल प्रदेश में यह 8% तक पहुंच सकता है।
प्रीपेमेंट पैनल्टी
अगर आपका मौजूदा होम लोन फिक्स्ड ब्याज दर पर है और आप समय से पहले इसे चुकाना चाहते हैं, तो आपको प्रीपेमेंट पैनल्टी देनी पड़ सकती है। यह पैनल्टी लोन की बकाया अमाउ की 2% से 4% तक हो सकती है। हालांकि, फ्लोटिंग ब्याज दर वाले लोन पर प्रीपेमेंट पैनल्टी नहीं लगती है, क्योंकि आरबीआई ने इस पर रोक लगाई हुई है।
प्रशासनिक लागत
रीफाइनेंस की प्रक्रिया में कई डॉक्यूमेंट्स की आवश्यकता होती है, जैसे कि पहचान पत्र, आय प्रमाण, प्रॉपर्टी के दस्तावेज, और मौजूदा लोन स्टेटमेंट। इन दस्तावेजों को जमा करने और प्रक्रिया पूरी करने में समय और पैसा खर्च होता है। कुछ बैंक इस पर प्रशासनिक चार्ज भी लेते हैं।
ब्याज दरों में अंतर
रीफाइनेंस करते समय मौजूदा लोन और नए लोन की ब्याज दर का मिलान जरूर करें। अगर आपके लोन की अवधि कम बची है, तो कम ब्याज दर के बावजूद रीफाइनेंस का फायदा हो सकता है या नहीं, इसका ध्यान रखें।
क्रेडिट स्कोर पर असर
हर बार जब आप लोन के लिए आवेदन करते हैं, तो ऋणदाता आपके क्रेडिट स्कोर की जांच करता है। बार-बार क्रेडिट स्कोर जांचने से यह प्रभावित हो सकता है और भविष्य में लोन लेने में कठिनाई हो सकती है।
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