जोमैटो और पेटीएम के बीच एंटरटेनमेंट टिकटिंग बिजनेस की डील के बाद भी दोनों में से प्रत्येक के पास 10,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का कैश बचेगा। हालांकि, दिल्ली और एनसीआर के इन दिनों यूनिकॉर्न का सफर पिछले कुछ सालों में एक जैसा नहीं रहा है। जोमैटो अपने बिजनेस को लेकर लोगों का भरोसा हासिल करने में सफल रही है। लेकिन, पेटीएम ऐसा करने में नाकाम रही है। इसके उलट पेटीएम को कुछ बिजनेसेज को बंद करने को मजबूर होना पड़ा है।
मार्केट का भरोसा हासिल करने में कामयाब रही है जोमैटो
जोमैटो (Zomato) जब स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट हुई थी, तब इसका फोकस फूड डिलिवरी बिजनेस पर था। बाद में कारोबार कमजोर पड़ने पर इसने ब्लिंकिट (Blinkit) का अधिग्रहण किया। अब मार्केट को यह भरोसा हो गया है कि जोमैटो का अधिग्रहण का फैसला सही था। इसका असर जोमैटो के शेयरों पर दिखा है। शेयरों में अच्छी तेजी आई है। इसके उलट, पेटीएम के शेयरों की लिस्टिंग कमजोरी के साथ हुई। तब से इसके शेयरों के प्राइस गिर रहे हैं।
नॉन-कोर बिजनेस को बेचना पेटीएम के लिए फायदेमंद
Paytm जब कभी क्रेडिट डिस्बर्सल या मर्चेंट सब्सक्रिप्शन डिवाइस में आगे बढ़ती नजर आती है, इसे किसी तरह का झटका लग जाता है। बाजार का मानना है कि पेटीएम ने कई सेगमेंट में एंट्री ली थी। इसलिए 22 अगस्त को अपने नॉन-कोर बिजनेस को जोमैटो के बेचने से फैसले से इसके शेयरों में तेजी देखने को मिली। कुल मिलाकर यह दोनों कंपनियों के लिए फायदेमंद है। लेकिन, दोपहर बाद मार्केट का रिएक्शन इस डील को लेकर अच्छा नहीं था। 3 बजे के बाद पेटीएम के शेयरों में 3.5 फीसदी गिरावट थी, जबकि जोमैटो के शेयर 1.2 फीसदी नीचे चल रहे थे। यह तब था जब ओवरऑल मार्केट 0.2 फीसदी की तेजी दिखा रहा था।
जोमैटो को यूजर्स को अपने ऐप पर शिफ्ट करना होगा
जोमैटो ने अगले कुछ हफ्तों में अपना गोइंग-आउट ऐप लॉन्च करने के प्लान बनाया है। इसलिए यह अधिग्रहण सही लग रहा है, क्योंकि इससे कंपनी को अपने नए प्लेटफॉर्म के लिए ग्राहक हासिल करने में मदद मिलेगी। पेटीएम ऐप और इसके कुछ सहयोगी ऐप्स को अगले 12 महीनों तक एटरटेनमेंट टिकट बेचने की इजाजत होगी। उसके बाद यूजर्स को धीरे-धीरे 'डिस्ट्रिक्ट' ऐप पर ले जाने की कोशिश होगी।
गोयल ने दिया लाइफलाइन सपोर्ट
जोमैटो इस बात को समझती है को पेटीएम के ग्राहकों को अपने प्लेटफॉर्म पर स्विच कराने के लिए उसे कुछ अतिरिक्त खर्च करने होंगे। इसके लिए इसने अपने दो पूर्व एग्जिक्यूटिव्स राहुल गंजू और प्रद्योद घाटे की सेवाएं ली है। वे इसी तरह के प्रोजेक्ट पर काम कर चुके हैं। इस डील से पेटीएम को कुछ पैसे हाथ में आएंगे। उधर, जोमैटो के दीपेंदर गोयल के पास एक बार फिर नए अधिग्रहण को कामयाबी के रास्ते पर लाने लाने का मौका होगा। गोयल एक बार फिर एनसीआर की दूसरी कंपनी को लाइफलाइन सपोर्ट उपलब्ध करा रहे हैं।
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