Friday, April 26, 2024

सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील आर्यमा सुंदरम ने कहा-इनहेरिटेंस टैक्स से काला धन बढ़ेगा

सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील आर्यमा सुंदरम का मानना है कि इंडिया में फिर से इनहेरिटेंस टैक्स लगाने से ब्लैक मनी बढ़ेगी। इससे लोग अपनी इनकम और नेटवर्थ बताने से बचेंगे। मनीकंट्रोल से बातचीत में उन्होंने इस मसले पर कई अहम बातें बताईं। हाल में कांग्रेस के सीनियर नेता सैम पित्रोदा के एक बयान से इनहेरिटेंस का मसला सुर्खियों में आ गया है। उन्होंने इनहेरिटेंस टैक्स की वकालत की थी। पित्रोदा अमेरिका में रहते हैं, जहां के कुछ राज्यों में इनहेरिटेंस टैक्स लागू है।

इंडिया में इनहेरिटेंस टैक्स 1985 में खत्म हुआ था

आर्यमा सुंदरम (Aryama Sundaram) ने कहा, "इंडिया में टैक्स के रेट्स ज्यादा हैं। एक समय इंडिया में एस्टेट ड्यूटी (Estate Duty) बहुत ज्यादा थी। इसने कई परिवारों को बर्बाद कर दिया। इसे खत्म करना अच्छा कदम था। लोग अब अपनी संपत्ति बताने में संकोच नहीं करते हैं। जब इंडिया में यह टैक्स तब लोग अपनी संपत्ति बताना नहीं चाहते थे।" उन्होंने कहा कि जब यह टैक्स लागू था तब लोग बैंकों में रखने की जगह गद्दों के नीचे पैसे छुपाकर रखते थे। इसकी वजह यह थी कि वे इसे अगले पीढ़ी को देना चाहते थे। उन्हें डर था कि सरकार उनकी सपंत्ति ले लेगी।

इंडिया में इनहेरिटेंस टैक्स की जरूरत नहीं

उन्होंने कहा कि हम स्कैंडिनेवियाई देश की तरह नहीं हैं जहां टैक्स के रेट्स ज्यादा हैं, लेकिन सरकार आपको जरूरत की हर चीज देती है। इनमें एजुकेशन, बिजली और हेल्थकेयर शामिल हैं। यहां (इंडिया) आप टैक्स चुकाते हैं और बदले में आपको कुछ नहीं मिलता। उन्होंने कहा कि इंडिया में लोग सरकार को टैक्स चुका रहे हैं। इसलिए उन्हें अपनी कमाई का एक हिस्सा अपने और अपने परिवार के लिए रखने का हक है। अगर सरकार इनहेरिटेंस लगाती है और बदले में कुछ नहीं देती है तो लोग अपनी इनकम बताना नहीं चाहेंगे। सीनियर वकील ने कहा, "मैं पूरी तरह से इनहेरिटेंस टैक्स के खिलाफ हूं। इसकी वजह यह है कि इंडिया में जो सामाजिकआर्थिक स्थिति है उसे देखते हुए यह (इनहेरिटेंस टैक्स) ठीक नहीं है।"

यह भी पढ़ें: इनहेरिटेंस टैक्स क्या है, सैम पित्रोदा ने आखिर क्या कह दिया कि इतना हंगामा मच गया?

राजीव गांधी ने पीएम बनने के बाद हटाया था यह टैक्स

इंडिया में 1953 से 1985 के बीच इनहेरिटेंस टैक्स लागू था। राजीव गांधी के प्रधानमंत्री बनने के एक साल बाद इसे हटा दिया गया। जब इस टैक्स को हटाया गया तब वीपी सिंह वित्त मंत्री थे। 1985 के अपने बजट भाषण में सिंह ने कहा था कि इस टैक्स को हटाने के फैसले के पक्ष में कहा था कि जब व्य्कति जीवित है तो एक टैक्स (वेल्थ टैक्स) और मौत के बाद दूसरा टैक्स (Estate Duty) लगाना टैक्सपेयर्स को परेशान करने जैसा है। सिंह ने यह भी कहा था कि एस्टेट ड्यूटी का मकसद पूरा नहीं हुआ है। इसका मकसद संपत्ति के असमान वितरण को दूर करना था और सरकार को डेवलपमेंट स्कीमों पर खर्च के लिए पैसे उपलब्ध कराना था।



from HindiMoneycontrol Top Headlines https://ift.tt/WfTQ1Gi
via

No comments:

Post a Comment