Ramadan 2024: रमजान को इस्लाम धर्म में सबसे पवित्र महीना माना जाता है। यह मुस्लिम कैलेंडर का नौवां महीना माना जाता है। इस महीने के चांद को देखकर तय किया जाता है। इसे माह ए रमजान भी कहा जाता है। मुस्लिम समुदाय के लोग पूरे महीने रोजा (उपवास) रखते हैं। सूरज निकलने से लेकर डूबने तक कुछ भी नहीं खाते पीते हैं। रोजा के दौरान लोग सहरी करने के लिए सुबह सूर्योदय से पहले उठते हैं। शाम को इफ्तार के साथ अपना उपवास तोड़ते हैं। साथ में महीने भर इबादत करते हैं। रमजान के महीने में रोजा रखना, रात में तरावीह की नमाज पढ़ना और कुरान तिलावत करना शामिल है।
यह महीना सभी मुसलमानों के लिए बेहद खास माना जाता है। रमजान का महीना कब शुरू होगा यह शाबान यानी इस्लामिक कैलेंडर के आखिरी दिन चांद देखकर तय किया जाता है। आमतौर पर रमजान का अर्धचंद्र सबसे पहले सऊदी अरब, दुबई और कुछ पश्चिमी देशों में देखा जाता है। इसके एक दिन बाद भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और कुछ अन्य देशों में रमजान की शुरुआत होती है।
जानिए भारत में कब से शुरू हो रहा है रमजान का महीना
सऊदी अरब के साथ ही संयुक्त अरब अमीरात, ब्रिटेन, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में सोमवार, 11 मार्च को रमजान 2024 का पहला रोजा रखा गया है। भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और अन्य दक्षिण एशियाई देशों में रमजान एक दिन बाद शुरू होता है। ऐसे में यहां 12 मार्च को पहला रोजा रखा जाएगा। वहीं भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश में एक साथ रमजान की शुरुआत होती है। भारत समेत दूसरे दक्षिणी एशियाई देशों में मक्का में चांद दिखने के 24 घंटे के बाद चांद का दीदार हो जाता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस साल पहला रोजा छोटा होने वाला है। यह करीब 13 घंटे 30 मिनट का होगा। वहीं आखिरी रोजा सबसे लंबा हो सकता है। यह करीब 14 घंटे 8 मिनट का हो सकता है।
रमजान में रोजा की शुरुआत कैसे हुई
इस्लाम धर्म में रोजा रखने की परंपरा काफी पुरानी है। हालांकि रमजान से सबसे पहले मक्का-मदीना में कुछ विशेष तिथियों जैसे चंद्र महीने की 13,14 और 15 तारीख को रोजा रखे जाते थे, जोकि एक महीने का नहीं होता था। ऐसा इसलिए क्योंकि तब रोजा इस्लाम के 5 फर्जों या स्तंभों में शामिल नहीं था। पैगंबर मोहम्मद के मक्का-मदीना जाने के बाद 624 में कुरान की आयत के जरिए रोजा को इस्लाम के फर्ज में शामिल किया गया। इसके बाद रमजान में रोजा रखना मुसलमानों के लिए अनिवार्य हो गया।
क्या है सहरी?
रोजे की शुरुआत सुबह सूरज निकलने से पहले फज्र की अजान के साथ होती है। इस समय सहरी ली जाती है। रमजान माह में रोजाना सूर्य उगने से पहले खाना खाया जाता है। इसे सहरी नाम से जाना जाता है। सहरी करने का समय पहले से ही निर्धारित कर दिया जाता है। सभी मुस्लिम लोगों को रोजा रखना बेहद जरूरी माना जाता है, लेकिन बच्चों और शारीरिक रूप से अस्वस्थ लोगों को रोजा रखने के लिए छूट दी गई है।
क्या है इफ्तार?
दिनभर बिना खाए-पिए रोजा रखने के बाद शाम को नमाज पढ़ी जाती है और खजूर खाकर रोजा खोला जाता है। यह शाम को सूरज ढलने पर अजान होने के बाद खोला जाता है। इसी को इफ्तार नाम से जाना जाता है। इसके बाद से सुबह सहरी से पहले व्यक्ति कुछ भी खा पी सकता है।
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