1984 के सिख विरोधी दंगों (1984 anti-Sikh riots) के मामले में कांग्रेस (Congress) नेता के खिलाफ एजेंसी की चार्जशीट के अनुसार, एक प्रत्यक्षदर्शी ने कथित तौर पर केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को बताया, "जगदीश टाइटलर (Jagdish Tytler) कार से बाहर आए और भीड़ को पहले सिखों को मारने के लिए उकसाया...।" CNN-News18 ने CBI की चार्जशीट के हवाले से बताया कि ये प्रत्यक्षदर्शी एक दुकानदार था, जिसकी दुकान नवंबर 1984 में भड़के सिख विरोधी दंगों में जला दी गई थी। चार्जशीट में प्रत्यक्षदर्शी के हवाले से कहा गया, “जगदीश टाइटलर अपनी सफेद एंबेसडर कार से बाहर आए और भीड़ को उकसाना शुरू कर दिया। उसने भीड़ को पहले सिखों को मारने के लिए उकसाया और फिर उनसे उनकी दुकानें लूटने के लिए कहा।" दस्तावेज में कांग्रेस नेता के ड्राइवर के बेटे का बयान भी शामिल है। CBI ने चार्जशीट में तर्क दिया, “यह दिखाने के लिए रिकॉर्ड पर पर्याप्त सामग्री उपलब्ध है कि जगदीश टाइटलर दंगा करने वाली गैरकानूनी भीड़ का हिस्सा थे, जो गुरुद्वारा पुल बंगश के पास इकट्ठा हुए थे। इस गैरकानूनी भीड़ ने निषेधाज्ञा का उल्लंघन किया और भीड़ को सिखों को मारने के लिए उकसाया गया।” तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी की उनके सिख बॉडीगार्ड के हत्या करने के एक दिन बाद 1 नवंबर, 1984 को राष्ट्रीय राजधानी के पुल बंगश इलाके में तीन लोगों की हत्या कर दी गई थी और एक गुरुद्वारे में आग लगा दी गई थी। शहर की एक अदालत ने 26 जुलाई को मामले में CBI की तरफ से दायर 20 मई के आरोपपत्र पर संज्ञान लेने के बाद टाइटलर को 5 अगस्त को तलब किया था। राहत की मांग करते हुए टाइटलर के वकील ने अदालत से कहा था कि उनके मुवक्किल को गिरफ्तारी की आशंका है और उन्हें जमानत दी जानी चाहिए। टाइटलर के वकील मनु शर्मा ने अदालत को बताया, "जांच एजेंसी की तरफ से अपराध के सही समय का पता नहीं लगाया गया था और मामले में कई क्लोजर रिपोर्ट दायर की गईं... दिल्ली पुलिस ने दो बार और CBI ने एक बार कहा कि टाइटलर के खिलाफ कुछ भी नहीं मिला।" UP सिद्धार्थनगर: चोरी के आरोप में दो नाबालिगों के साथ क्रूरता, पेशाब पिलाया, प्राइवेट पार्ट में लगाया मिर्ची पाउडर उन्होंने कहा कि CBI ने मामले में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करने के बाद लोकसभा चुनाव से ठीक 11 महीने पहले कुछ नए गवाहों के बयानों के आधार पर टाइटलर के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था। उन्होंने कहा, “CBI ने मामले में कई बार क्लोजर रिपोर्ट दायर की और विरोध याचिका का भी विरोध किया। CBI ने 2007 और 2014 में आरोपपत्र दाखिल करते हुए क्लीन चिट दे दी थी।" उन्होंने यह भी बताया कि CBI ने पूरी जांच के दौरान टाइटलर को गिरफ्तार नहीं किया। कांग्रेस नेता के वकील ने अदालत को बताया, “25 साल बाद शामिल किए गए गवाहों पर भरोसा नहीं किया जा सकता। टाइटलर के भागने का खतरा नहीं है। उनकी उम्र 79 साल है और उन्हें मेडिकल समस्याएं हैं।" सुनवाई के दौरान CBI ने टाइटलर की अर्जी का विरोध किया था। CBI ने कहा, “गवाह बहुत साहस दिखाते हुए आगे आए हैं और उन्हें प्रभावित करने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। नए गवाहों के बयान के अनुसार, शुरुआती तौर पर जगदीश टाइटलर की भूमिका लगती है।” एजेंसी ने टाइटलर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 147 (दंगा) और 109 (उकसाने) के साथ धारा 302 (हत्या) के तहत आरोप लगाए हैं।
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