Tuesday, June 6, 2023

Odisha Train Accident: ट्रेन हादसे में जान गंवाने वाले 100 से ज्यादा लोगों की नहीं हुई पहचान, DNA जांच से साफ होगी तस्वीर

 Odisha Train Accident: बालासोर ट्रेन हादसे (Balasore Train Accident) में जान गंवाने वाले 100 से ज्यादा लोगों के शव अभी भी ओडिशा (Odisha) के अलग-अलग अस्पतालों के मुर्दाघरों में पड़े हैं, क्योंकि उनकी शिनाख्त नहीं हो सकी है। इस बीच, भुवनेश्वर के ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस (AIIMS) ने शवों की पहचान के लिए अपने रिश्तेदारों की तलाश कर रहे लोगों के DNA सैंपल लेने शुरू कर दिए हैं। एक अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी। न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक, एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि शवों की पहचान का दावा करने वालों में से अब तक 10 लोगों के DNA के सैंपल इकट्ठा किए गए हैं। उन्होंने कहा कि शवों को अब पांच कंटेनरों में ट्रांसफर कर दिया गया है, जहां उन्हें लंबे समय तक संरक्षित किया जा सकता है। अधिकारी ने कहा कि DNA सैंपल लेने के बाद शवों को उचित लोगों को सौंपने या फिर उनका अंतिम संस्कार करने की अब कोई जल्दबाजी नहीं होनी चाहिए, क्योंकि उन्हें छह महीने तक कंटेनर में रखा जा सकता है। कुल 278 मृतकों में से 177 शवों की पहचान कर ली गई है, जबकि बाकी 101 की पहचान कर उन्हें उनके परिवारों को सौंपा जाना बाकी है। AIIMS में करीब 123 शव आए थे, जिनमें से लगभग 64 की पहचान कर ली गई है। झारखंड के एक परिवार ने मंगलवार को आरोप लगाया कि उन्होंने सोमवार को उपेंद्र कुमार शर्मा के शव की पहचान की थी, लेकिन इसे मंगलवार को किसी और को सौंप दिया गया। इस परिवार के एक सदस्य ने कहा, "अगर शव किसी और को सौंप दिया गया है, तो DNA सैंपल लेने का क्या मतलब है? हमने उपेंद्र के शरीर पर टैटू के निशान से उसकी पहचान की थी।" हालांकि, AIIMS के उपाधीक्षक डॉक्टर प्रवास त्रिपाठी ने कहा कि विस्तृत जांच के बाद शवों को सौंपा जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह सही है कि एक से ज्यादा परिवार एक ही शव पर दावा कर रहे हैं और इसके लिए DNA सैंपल लिए जा रहे हैं। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि DNA की जांच रिपोर्ट आने में कम से कम 7 से 10 दिन का समय लग सकता है। उन्होंने कहा कि क्योंकि शवों को अब कंटेनर में रखा जा रहा है, इसलिए शवों को संरक्षित करने में कोई समस्या नहीं होनी चाहिए। मृतकों में से ज्यादातर पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के अलावा ओडिशा के रहने वाले हैं। Odisha Train Accident: बेटे की मौत पर पिता को नहीं हो रहा था भरोसा, घंटों बाद मुर्दाघर से जिंदा खोज निकाला इस बीच, तीन एजेंसियों केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI), रेलवे सुरक्षा आयुक्त (CRS) और GRP, बालासोर ने ट्रेन दुर्घटना की जांच शुरू कर दी है। इस हादसे में कम से कम 278 लोग मारे गए हैं। खुर्दा मंडल रेल प्रबंधक (DRM) रिंकेश रॉय ने उपकरणों के साथ छेड़छाड़ का शक जताया है, जिसके चलते कोरोमंडल एक्सप्रेस लूप लाइन में प्रवेश कर गई और लोहे से लदी मालगाड़ी से टकरा गई। रॉय ने कहा कि जब कोरोमंडल एक्सप्रेस बाहानगा बाजार स्टेशन से गुजरी, तो मेन लाइन पर हरी झंडी थी। उन्होंने कहा कि आवश्यक सभी पूर्व-शर्तें सही होती हैं, तभी सिग्नल आमतौर पर ग्रीन होता है और अगर कोई भी पूर्व शर्त पूरी नहीं होती है, तो तकनीकी रूप से सिग्नल कभी भी हरा नहीं हो सकता। रॉय ने कहा कि जब तक कोई सिग्नल सिस्टम के साथ छेड़छाड़ नहीं करता, तब तक ये रेड रहता है। उन्होंने बताया कि रेलवे के पास ‘डेटा लॉगर’ नाम का एक सिस्टम है, जिसमें सिग्नल बटन को दबाने से लेकर शुरू होने वाली हर एक घटना रिकॉर्ड की जाती है। DRM ने कहा कि ‘डेटा लॉगर’ से पता चलता है कि हरी झंडी थी। उन्होंने कहा कि यह तब तक संभव नहीं हो सकता, जब तक कि किसी ने इसके साथ छेड़छाड़ नहीं की हो।

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