Gyanvapi Masjid Case: इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad high court) ने बुधवार को अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी (AIMC) की तरफ से दायर एक नागरिक पुनरीक्षण याचिका को खारिज कर दिया। ये याचिका मस्जिद परिसर के भीतर मां श्रृंगार गौरी (Shringar Gauri) और अन्य देवी-देवताओं की पूजा करने का अधिकार मांगने वाले सिविल सूट के खिलाफ दर्ज की गई थी। इस याचिका में वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर पूजा करने के अधिकार की मांग करते हुए वाराणसी कोर्ट में दायर पांच हिंदू महिलाओं के मुकदमे की विचारणीयता को चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने वाराणसी कोर्ट के 12 सितंबर, 2022 के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें इन महिलाओं की मांग वाले सूट को बरकरार रखा गया था। न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने प्रतिद्वंदी पक्षों के वकीलों को विस्तार से सुनने के बाद ये आदेश पारित किया। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया कि वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में श्रृंगार गौरी और दूसरे देवताओं की नियमित पूजा के लिए अनुमति मांगने वाली पांच हिंदू महिलाओं की ओर से दायर याचिका सुनवाई के लायक है। Gyanvapi Masjid Case: ज्ञानवापी से जुड़े सभी 7 मामलों की एक साथ होगी सुनवाई, वाराणसी जिला अदालत ने दिया आदेश इलाहाबाद हाईकोर्ट में हिंदू पक्ष की पैरवी करने वाले वकील हरि शंकर जैन ने कहा, "मुझे आशा है कि वह दिन दूर नहीं जब हम वहां भव्य शिव मंदिर बनाएंगे और वर्तमान ढांचे को हटा देंगे।" ज्ञानवापी मस्जिद मामले में हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने हाई कोर्ट के इस फैसले को एतिहासिक बताया। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, "यह एक ऐतिहासिक फैसला है। कोर्ट ने साफ कहा है कि अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी की याचिका बरकरार रखने लायक नहीं है और इसे खारिज किया है।" वाराणसी की अदालच में हिंदू पक्ष के वकील सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने कहा, "यह हिंदू पक्ष की बड़ी जीत है। हम अंजुमन इंतजामिया मस्जिद समिति की तरफ से दायर आदेश 7 नियम CPC याचिका को खारिज करने के अदालत के फैसले का स्वागत करते हैं, जिसमें ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर पूजा करने के अधिकार की मांग करने वाली पांच हिंदू महिला उपासकों के मुकदमे की स्थिरता को चुनौती दी गई थी।" क्या था पूरा मामला? दरअसल पिछले साल अक्टूबर में, वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद का प्रबंधन करने वाली मस्जिद समिति ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की थी, जिसमें जिला अदालत के 12 सितंबर के आदेश को चुनौती दी गई थी। इस आदेश में पांच हिंदू महिलाओं की तरफ से दायर मुकदमे को सुनवाई योग्य माना गया था। ये महिलाएं मस्जिद परिसर के भीतर मां श्रृंगार गौरी में पूजा-अर्चना करने का अधिकार मांग रही हैं। 12 सितंबर को, जिला अदालत ने हिंदू देवी-देवताओं की दैनिक पूजा के अधिकार की मांग करने वाली याचिका की सुनवाई के खिलाफ मस्जिद समिति की याचिका को खारिज कर दिया था, जिनकी मूर्तियां ज्ञानवापी मस्जिद की बाहरी दीवार पर स्थित हैं। मामले में जिला अदालत ने 12 सितंबर तक फैसला सुरक्षित रख लिया था। एक निचली अदालत ने परिसर के वीडियोग्राफिक सर्वे का आदेश दिया था। सर्वे का काम 16 मई को पूरा हुआ और 19 मई को कोर्ट में रिपोर्ट पेश की गई। हिंदू पक्ष के अनुसार, ज्ञानवापी मस्जिद-श्रृंगार गौरी परिसर के वीडियोग्राफिक सर्वे के दौरान एक 'शिवलिंग' मिला, लेकिन मुस्लिम पक्ष ने इसका विरोध किया और ढांचे को 'फुव्वारा' बताया।
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