बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay HC) ने गुरुवार को अभिनेत्री अनुष्का शर्मा (Anushka Sharma) को राहत देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने राज्य के सेल्स टैक्स विभाग की तरफ से महाराष्ट्र वैल्यू एडेड टैक्स अधिनियम के तहत असेसमेंट ईयर 2012 से 2016 के लिए जारी किए गए विवादित आदेशों को खारिज कर दिया। जस्टिस नितिन जामदार और अभय आहूजा की एक बेंच ने फैसला सुनाया कि एक्ट्रेस महाराष्ट्र वैल्यू एडेड टैक्स (MVAT) अधिनियम के तहत फैसलों के खिलाफ अपील दायर कर सकती हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि शर्मा ने कानून के तहत चार याचिकाएं दायर की हैं, जिसमें सेल्स टैक्स विभाग की तरफ से जारी असेसमेंट ईयर 2012-13, 2013-14, 2014-15 और 2015-16 के लिए टैक्स लगाने के चार आदेशों को चुनौती दी गई है। क्या है ये मामला? इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, अनुष्का शर्मा ने 2012-13 और 2013-14 के लिए महाराष्ट्र वैल्यू एडेड (MVAT) अधिनियम के तहत मझगांव सेल्स टैक्स डिप्टी कमिश्नर के आदेशों पर विवाद करते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की थी। 2012-13 के लिए, सरकार ने शर्मा की 12.3 करोड़ रुपए की कमाई पर 1.2 करोड़ रुपए का सेल्स टैक्स (ब्याज सहित) लगाया था। 2013-14 के दौरान उन्हें मिले 17 करोड़ रुपए पर 1.6 करोड़ रुपए का टैक्स लगाया गया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि ये पुरस्कार समारोह में एक्ट्रेस के मिला विज्ञापनों और परफॉर्मेंस करने पर मिला होगा। सबसे अहम समस्या ये है कि कैसे टैक्स अधिकारी कलाकारों के अधिकारों को संरक्षित करने के लिए 2012 में अधिनियमित कॉपीराइट कानून में हुए एक अहम सुधार की व्याख्या करते हैं। क्या कहती हैं अनुष्का की याचिकाएं? शर्मा की याचिकाओं के अनुसार, उन्होंने एक तय पीरियड में एजेंट, यशराज फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड, और निर्माताओं/प्रोग्राम के आयोजकों के साथ एक ट्राईपार्टी अरेंजमेंट के हिस्से के रूप में फिल्मों और अवार्ड शो में अभिनय किया। याचिकाओं में कहा गया है कि मूल्यांकन अधिकारी ने सेल्स टैक्स का आकलन फिल्म के विचार पर नहीं बल्कि कमर्शियल विज्ञापनों और अवार्ड शो में एंकरिंग पर किया, जिसमें दावा किया गया कि शर्मा ने अपने कलाकार के अधिकारों को ट्रांसफर कर दिया था। पंजाब की राजनीति में अब क्या कमाल कर पाएंगे नवजोत सिंह सिद्धू, क्या कांग्रेस में फूंकेंगे नई जान? उन्होंने तर्क दिया कि वह "कॉन्ट्रैक्ट फॉर सर्विस" के बजाय "कॉन्ट्रैक्ट ऑफ सर्विस" के तहत सेवाएं दे रही थीं, और पैसा कमा रही थीं, जिसके तहत उन्हें किसी ने हायर नहीं किया था। कॉन्ट्रैक्ट फॉर सर्विस का इस्तेमाल तब किया जाता है, जब आप किसी खास काम के लिए किसी थर्ड पार्टी को एक स्वतंत्र कॉन्ट्रैक्टर के रूप में नियुक्त करना चाहते हैं। एक सर्विस कॉन्ट्रैक्ट एक रोजगार कॉन्ट्रैक्ट के जैसा होता है। क्या हैं कलाकारों के राइट्स? इससे पहले, कॉपीराइट कानून के तहत कलाकारों के अधिकारों की रक्षा नहीं की जाती थी। किसी फिल्म में किसी एक्टर का परफॉर्मेंस या किसी गाने की रिकॉर्डिंग में किसी सिंगर का परफॉर्मेंस सुरक्षित नहीं था। कॉपीराइट कानून के तहत, कलाकारों के राइट्स 1994 में तय किए गए। 1961 के रोम समझौते ने कलाकारों के राइट्स का कॉन्सेप्ट तय किया। इसमें कहा गया था कि कलाकारों के पास राइट हैं और उनके कंटेंट को उनकी अनुमति के बिना टीवी पर नहीं दिखाया जा सकता है। लीगल सर्विसेज इंडिया की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि परफॉर्मेंस राइट्स का कॉन्सेप्ट को कॉपीराइट अधिनियम की धारा 38 और 39 में मान्यता प्राप्त है।
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