जर्मनी के पूर्व रेसिंग ड्राइवर माइकल शूमाकर (Michael Schumacher) ने पहली बार वर्ष 2000 में फॉर्मूला वन वर्ल्ड चैंपियनशिप (Formula 1 World Championship) जीता था। जिस फेरारी कार के जरिए उन्होंने यह कारनामा किया था, उसकी 12 अप्रैल को बिक्री हुई है। हालांकि बिक्री में कितने पैसे हासिल हुए हैं, इसका खुलासा तो नहीं हुआ है लेकिन ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक Sotheby के प्रवक्ता ने इसकी पुष्टि की है कि इसकी शुरुआती वैल्यू करीब 75 लाख-95 लाख डॉलर रही। यह नीलामी हॉन्गकॉन्ग में एक निजी कार्यक्रम में हुआ था। इसमें शूमाकर की Ferrari F1-2000 की नीलामी हुई। शूमाकर ने इसी के जरिए पहली बार फॉर्मूला वन वर्ल्ड चैंपियनशिप जीता था और अगले चार साल और लगातार चैंपियनशिप हासिल किया था। Crypto News: इस कारण अगले साल कम हो जाएगी BitCoin की सप्लाई, एक्सपर्ट्स का ये है रुझान कितनी अहम है यह नीलामी नीलामी ब्रोकर Sotheby के मुताबिक इसकी नीलामी से जो पैसे मिले हैं, वह उनके लिए तो चौंकाने वाला नहीं है जो इस प्रकार की रेस कारों के बारे में जानते हैं। बेकार हो चुकी पुरानी रेसर कारों की मांग कलेक्शन को लेकर बढ़ रही है। पहले इन्हें बेचना मुश्किल होता था और लोग इससे डरते थे। हालांकि RM Sotheby के एक स्पेशलिस्ट एंड्र्यू ओलसन के मुताबिक अब लोग इन कारों की ऐतिहासिक महत्ता और रेसिंग इतिहास समझने लगे हैं। ऐसे में इनके महत्व की सराहना की जा रही है। जिनके पास पहले से ही कलेक्शन में Ferrari F40s, Porsche 930 Turbos और Mercedes-Benz जैसे नगीने हैं, उनके लिए रेस जीतने वाली कार अब अगली जरूरत हैं। खास नहीं रही TCS-Infosys की मार्च तिमाही, निवेश के लिए अब ऐसे बनाएं स्ट्रैटजी पुरानी फेरारी कारों के साथ क्या आती हैं दिक्कतें फेरारी कारों की डिजाइन ऐसी होती हैं कि एक बार रेसकोर्स से उतरने के बाद यह किसी काम की नहीं रहती। इसमें एसी और रेडियो भी नहीं होता है और ढेर सारे जिप्पी स्ट्राइप्स या लोगो पेंट किए होते हैं। इनमें रियरव्यू मिरर और पैसेंजर सीटें नहीं होती हैं। इसके अलावा इन्हें आम सड़कों और गलियों पर चलाना वैध भी नहीं है। ऐसे में जब ये कारें बेकार हो जाती हैं तो इन्हें बनाने वाली कंपनियां कुछ मॉडल्स अपने यहां यादगार के तौर पर रखती हैं, या इन्हें कलेक्शन करने वालों को बेच दिया जाता है। इन्हें मेंटेन करना भी बहुत महंगा होता है और एक पुरानी एफ1 फेरारी को फिर से चालू हालत में लाने के लिए 2.5 लाख से 5 लाख डॉलर का खर्च आता है। इसके अलावा इन्हें चलाना भी मुश्किल होता जो पुरानी कारें चलाते हैं, उनके लिए भी। Ashish Kacholia ने इस कंपनी के शेयरों की और की खरीदारी, एक कंपनी में ले ली तगड़ी हिस्सेदारी, आपने किसमें लगाए हैं पैसे? अब आगे क्या बदलने वाला है पहले इन कारों की बिक्री बहुत मुश्किल होती थी लेकिन अब स्थिति धीरे-धीरे सुधर रही है। एंड्र्यू ओलसन के मुताबिक पिछले कुछ वर्षों में बड़ी नीलामियां हुई हैं। वर्ष 2017 में शूमाकर के मोनैको ग्रैंड प्रिंक्स-विनिंग Ferrari F2001 को 75 लाख डॉलर के रिकॉर्ड अमाउंट में बेचा गया था। पिछले साल 2022 में Sotheby ने फिर एक फेरारी F2003-GA को 1.5 करोड़ डॉलर में बेचा था जो एफ1 कार के लिए मौजूदा दौर में सबसे बड़ी बोली है। इस साल भी बड़ी-बड़ी नीलामियां हुई हैं। हालांकि एंड्र्यू का मानना है कि अभी भी इस मार्केट में ग्रोथ की काफी गुंजाइश है। एंड्रूयू के मुताबिक विंटेज कारों की वैल्यू अभी काफी ही है क्योंकि मौजूदा भाव इसकी दुर्लभता, इतिहास और बाकी चीजों के बारे में सटीक से दिखा नहीं रहा है।
from HindiMoneycontrol Top Headlines https://ift.tt/o5pSOle
via
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
-
A series of pro- and anti-Beijing protests is planned ahead of the 70th anniversary of the People's Republic of China on Tuesday, includ...
-
While a sitting lawmaker in the lower house of parliament, Dmitry Gudkov was expelled from the Just Russia party in 2013 for helping organis...
-
Hong Kong government offices, where protesters smashed computers and spray painted anti-extradition slurs, were closed on Tuesday. Police fi...
No comments:
Post a Comment