Monday, February 13, 2023

सुप्रीम कोर्ट ने SpiceJet को दिया निर्देश, कलानिधि मारन को 2 हफ्ते के अंदर 270 करोड़ का करें पेमेंट

स्पाइसजेट (Spicejet) के मौजूदा प्रमोटर अजय सिंह (Ajai Singh) और पूर्व प्रमोटर कलानिधि मारन (Kalanithi Maran) के बीच लंबे समय से जारी शेयर विवाद में अब एक नया मोड़ आ गया है। सुप्रीम कोर्ट ने आज 13 फरवरी को इस मामले में सुनवाई करते हुए स्पाइसजेट को दो हफ्तों के अंदर 270 करोड़ रुपये की बैंक गांरटी को भुनाकर कलानिधि मारन को बकाया राशि का भुगतान करने का निर्देश दिया है। एक ऑर्बिट्रेशन कोर्ट ने समझौते के तहत कलानिधि मारन को 578 करोड़ रुपये देने का आदेश दिया था। यह बकाया राशि इसी के तहत दी जानी है। इसके अलावा कोर्ट ने स्पाइसजेट को ब्याज के बकाये के रूप में 75 करोड़ रुपये देने का निर्देश दिया है, जबकि मारन ने इसके लिए 362 करोड़ का दावा किया था। सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही स्पाइसजेट को दिल्ली हाई कोर्ट में जाने और कम ब्याज के लिए दलील देने की भी इजाजत दे दी है। सुनवाई के दौरान स्पाइसजेट ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह 579 करोड़ रुपये की लंबित राशि में से पहले 308 करोड़ रुपये का कैश में भुगतान कर दी है और बाकी राशि को कवर करने के लिए उसने 270 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी दी है। यह पूरा विवाद साल 2015 में शुरू हुआ था जब मारन और उनकी फर्म KAL एयरवेज ने स्पाइसजेट में अपनी 58.46 फीसदी हिस्सेदारी को सिर्फ 2 रुपये में स्पाइसजेट के मौजूदा प्रमोटर अजय सिंह को दे दी थी। अजय सिंह, स्पाइसजेट के को-फाउंडर भी है और उन्होंने तब एयरलाइन के मालिकान हक के साथ इसकी 1,500 करोड़ रुपये की लायबिलिटी भी अपने ऊपर ले लिया था। यह भी पढ़ें- शेयर बाजार में गिरावट, सेंसेक्स 250 लुढ़का; निवेशकों को एक दिन में ₹2,53,000 करोड़ का हुआ घाटा इस शेयर ट्रांसफर एग्रीमेंट के तहत के तहत मारन को वारंट और प्रेफरेंस शेयर जारी किए जाने थे और इसके लिए उन्होंने 679 करोड़ रुपये का भुगतान किया था। साल 2017 में मारन ने इस मामले में यह कहते हुए दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया कि उन्हें न तो समझौते के अनुसार प्रेफरेंस शेयर जारी किए और न ही उनके पैसों को वापस किया गया। हाई कोर्ट ने इस मामले को मध्यस्थता अदालत के पास भेज दिया। मध्यस्थता अदालत ने जुलाई 2017 में मारन को 579 करोड़ रुपये और उसपर ब्याज चुकाने का आदेश दिया, लेकिन नुकसान के तौर पर मारन के 1,323 करोड़ रुपये के मुआवजे के दावे को खारिज कर दिया। जब मारन ने इस आदेश को हाई कोर्ट के सामने चुनौती दी, तो कोर्ट ने मारन का पक्ष लिया और स्पाइसजेट को ब्याज राशि के रूप में 243 करोड़ रुपये जमा करने का निर्देश दिया। हांलाकि हाई कोर्ट के इस आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत ही रोक लगा दी थी। अब मारन ने याचिका दाखिल कर सुप्रीम कोर्ट से इस स्टे आदेश को हटाने की मांग की है, जिसके बाद इस पर फिर से सुनवाई हो रही है।

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