Friday, February 17, 2023

इंटरेस्ट रेट बढ़ने के बावजूद 30-50 और 50-70 लाख रुपये के सेगमेंट में होम लोन की डिमांड बढ़ी है

RBI ने पिछले साल मई में इंटरेस्ट रेट बढ़ाना शुरू किया था। तब से वह इंटरेस्ट रेट 2.5 फीसदी बढ़ा चुका है। इससे होम लोन महंगा हो गया है। होम लोन लेने वाले लोगों की EMI बढ़ गई है। मनीकंट्रोल ने IMGC के चीफ डिस्ट्रिब्यूशन ऑफिसर अमित दिवान से बातचीत में इंटरेस्ट रेट्स बढ़ने के असर के बारे में पूछा। IMGC प्राइवेट मॉर्टगेज गारंटी कंपनी है। मनीकंट्रोल ने दिवान से यह जानने की कोशिश की कि होम लोन की डिमांड पर इंटरेस्ट रेट बढ़ने का कितना असर दिख रहा है। उनका कहना था कि इंटरेस्ट रेट बढ़ने के बावजूद 30-50 लाख और 50-75 लाख सेगमेंट में होम लोन की डिमांड बढ़ी है। 10-25 फीसदी तक बढ़ चुकी है EMI दिवान ने कहा कि इंटरेस्ट रेट बढ़ने का बोझ बैंकों ने ग्राहकों पर डाला है। इससे लोगों की EMI 10-25 फीसदी तक बढ़ गई है। उनके लिए EMI चुकाना मुश्किल हो रहा है। इंटरेस्ट रेट 9-9.25 फीसदी पर पहुंच गया है। जो लोग होम लोन ले चुके हैं उनके पास सीमित विकल्प हैं। वे अपनी क्रेडिट प्रोफाइल और रिपेमेंट हिस्ट्री के आधार पर बैंक से इंटरेस्ट रेट में रियायत के लिए बातचीत कर सकते हैं। प्रीपेमेंट करने से EMI घट जाएगी उन्होंने कहा कि अगर आपका बैंक इसके लिए तैयार नहीं है तो आपको यह देखना होगा कि आप दूसरे बैंकों या NBFC से सबसे अच्छा क्या रेट हासिल कर सकते हैं। दूसरा, हम ग्राहकों को एनुअल बोनस या सेविंग्स से कुछ पैसा प्रीपेमेंट करने की सलाह भी दे रहे हैं। आप कम इंटरेस्ट वाले फिक्स्ड डिपॉजिट से पैसे निकाल सकते हैं। इससे होम लोन का कुछ पैसा चुका सकते हैं। यह भी पढ़ें : यूनियन बजट 2023 में निर्मला सीतारमण के ऐलान से इनवेस्टर्स को फायदा या नुकसान? कुछ सेगमेंट में बढ़ी है होम लोन की डिमांड दिवान ने कहा कि इंटरेस्ट रेट बढ़ने के बावजूद 30-50 लाख और 50-75 लाख सेगमेंट में होम लोन की डिमांड बढ़ी है। बैंक और एनबीएफसी दोनों इस सेगमेंट पर अपना फोकस बढ़ा रहे हैं। हमने यह भी देखा है कि पिछले पांच साल में घर खरीदने वाले ग्राहकों की औसत उम्र करीब 38-39 साल बनी हुई है। इसका मतलब है कि यंग कस्टमर्स घर खरीदने का प्लान टाल रहे हैं। इसकी दो वजहें हैं। पहला, यहां लोन टू वैल्यू रेशियो 75 फीसदी है। यह ऐसा ब्रैकेट है, जिसमें आम तौर पर बड़े शहर में रहने वाला ग्राहक आता है। इसका मतलब यह है कि 25 फीसदी हिस्से का इंतजाम करने के लिए आपको सेविंग्स पर फोकस करना जरूरी है। इसमें समय लगता है। दूसरा, हम देख रहे हैं कि लोग घर खरीदने के बजाय किराए पर लेना पसंद कर रहे हैं। क्रेडिट डिफॉल्ट इंश्योरेंस का मतलब मॉर्टगेज इको सिस्टम में IMGC की भूमिका के बारे में पूछने पर दिवान ने कहा कि हम क्रेडिट डिफॉल्ट इंश्योरेंस प्रोवाइड करते हैं। बैंक और एनबीएफसी होम लोन के मामले में यह सुविधा लेते हैं। अगर कोई कस्टमर होम लोन पर डिफॉल्ट करता है तो हम बैंक को नुकसान की भरपाई करते हैं। इससे उन्हें काफी मदद मिलती है। जहां तक कस्टमर्स की बात है तो उन्हें आसान शर्तों पर लोन हासिल करने में मदद मिलती है। उदाहरण के लिए ग्राहक को 15-20 फीसदी ज्यादा लोन अमाउंट मिलता है। इससे लोन लेने की उनकी कुल लागत घट जाती है। उसकी EMI पर सिर्फ 17 रुपये प्रति लाख की लागत आती है।

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