Union Budget 2023: अगले यूनियन बजट (Budget 2023) में सरकार फिस्कल डेफिसिट (Fiscal Deficit) घटाने पर फोकस बढ़ा सकती है। दो सरकारी अधिकारियों ने यह जानकारी दी। सरकार को फिस्कल डेफिसिट कम करने के लिए अपने खर्च को घटाना पड़ेगा। इससे सुस्त पड़ती इकोनॉमिक ग्रोथ के लिए रिस्क पैदा हो सकता है। सरकारी अधिकारी पहले ही फूड और फर्टिलाइजर सब्सिडी में कमी करने के संकेत दे चुके हैं। कोरोना की महामारी के दौरान सरकार पर फूड सब्सिडी का बोझ काफी बढ़ गया था। सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों की मदद के लिए मुफ्त खाद्यान्न की स्कीम शुरू की थी। यूनियन बजट 2023 में फूड सब्सिडी में कमी का ऐलान किया जा सकता है। फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) 1 फरवरी को यूनियन बजट पेश करेंगी। इस फाइनेंशियल ईयर में फिस्कल डेफिसिट 6.4 फीसदी रहने का अनुमान एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि अगले फाइनेंशियल ईयर में सरकार के पूंजीगत खर्च में भी कमी देखने को मिल सकती है। सरकार अगले फाइनेंशियल ईयर में फिस्कल डेफिसिट को जीडीपी के 5.9 फीसदी रखने का टारगेट तय कर सकती है। इस फाइनेंशियल ईयर में सरकार का फिस्कल डेफिसिट 6.4 फीसदी रहने का अनुमान है। अनुमान है कि सरकार फाइनेंशियल ईयर 2025-26 तक फिस्कल डेफिसिट को जीडीपी के 4.5 फीसदी तक लाने पर जोर देगी। बजट 2023 आने में बाकी हैं सिर्फ कुछ हफ्ते, इसकी खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें करेंट अकाउंट डेफिसिट 9 साल की ऊंचाई पर अधिकारियों ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर यह जानकारी दी। एक अधिकारी ने कहा, "सरकार फिस्कल डेफिसिट के आंकड़ों को लेकर बहुत संवेदनशील है। वह इसे पहले से तय लक्ष्य के मुताबिक कम करना चाहती है।" हालांकि, सरकार के लिए फिस्कल डेफिसिट में कमी करना आसान नहीं होगा। रुपये की कीमत रिकॉर्ड निचले स्तर पर है। सरकार का तिमाही करेंट अकाउंट डेफिसिट 9 साल के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गया है। पूंजीगत खर्च पर फोकस बनाए रखने की जरूरत सरकार का उधारी भी बहुत ज्यादा है। ऐसे में सरकार के लिए आगे का रास्ता आसान नहीं है। सरकार पहले से तेजी से बढ़ते इनफ्लेशन पर अंकुश लगाने की कोशिश कर रही है। दुनिया की कई बड़ी इकोनॉमी पर मंदी का खतरा मंडरा रहा है। इकोनॉमिस्ट्स का कहना है कि कोरोना की महामारी का खतरा कम हुआ है। इससे सरकार के पास सब्सिडी जैसे खर्चों में कमी करने की गुंजाइश है। लेकिन, निवेश के मोर्चे पर सरकार को सावधानी बरतने की जरूरत है। इसकी वजह यह है कि इकोनॉमिक ग्रोथ की रफ्तार बनाए रखने के लिए पूंजीगत खर्च जरूरी है। यह भी पढ़ें : Union Budget 2023: दूसरे उभरते देशों के मुकाबले इंडिया में फिस्कल डेफिसिट काफी ज्यादा है क्वांटइको रिसर्च की इकोनॉमिस्ट युविका सिंघल ने कहा कि फिस्कल डेफिसिट में कमी करने से ग्रोथ को मिलने वाले फिस्कल सपोर्ट पर असर पड़ सकता है। लेकिन, फिस्कल एक्सपेंडिचर की क्वालिटी काफी अहम है। रेवेन्यू और कुल फिस्कल डेफिसिट में कमी के बावजूद फाइनेंशियल ईयर 2023-24 में पूंजीगत खर्च पर फोकस बनाए रखने से ग्रोथ को सपोर्ट मिलेगा। ऐसे वक्त इसकी अहमियत और बढ़ जाती है जब दुनिया की कई बड़ी इकोनॉमीज पर मंदी का खतरा मंडरा रहा है।
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