Saturday, January 28, 2023

Union Budget 2023: आज भी जबर्दस्त शेरो-शायरी के लिए याद किए जाते हैं ये 5 बजट

Budget 2023: यूनियन बजट 2023 पेश होने में तीन दिन बचे हैं। इस बजट को लेकर जितनी उत्सुकता लोगों में है, उतनी शायद ही किसी बजट को लेकर रही होगी। टैक्सपेयर्स को टैक्स बेनेफिट बढ़ने की उम्मीद है। घर खरीदने का प्लान बना रहे लोग होम लोन इंटरेस्ट पर डिडक्शन बढ़ने का अनुमान लगा रहा हैं। इंडस्ट्री को PLI स्कीम का दायरा बढ़ने की आस है। फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को यूनियन बजट 2023 पेश करेंगी। उन्हें लंबा बजट भाषण देने के लिए जाना जाता है। सबसे लंबे बजट भाषण का रिकॉर्ड उनके नाम है। पिछले यूनियन बजटों में वह कविता और मशहूर लेखकों के कोट्स का जिक्र करती रही हैं। आइए जानते हैं उन वित्तमंत्रियों के बारे में जिन्होंने अपने भाषण में कोट्स का इस्तेमाल किया था। मनमोहन सिंह (1991) पूर्व प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री मनमोहन सिंह ने 1991 के बजट भाषण में प्रसिद्ध फ्रेंच लेखक विक्टर ह्यूगो के कोट्स का इस्तेमाल किया था। उन्होंने इंडियन इकोनॉमी की संभावनाओं के बारे में बताने के दौरान ऐसा किया था। ह्यूगो ने एक बार कहा था, "धरती की कोई ताकत उस विचार को नहीं रोक सकती, जिसका समय आ चुका है।" उन्होंने कहा था कि इंडिया की बढ़ती ताकत ऐसा ही एक विचार है। उन्होंने कहा था कि पूरी दुनिया को जान लेना चाहिए कि इंडिया अब जग चुका है। हम जीतेंगे। हम मुश्किलों से निजात पाएंगे। 1991 के बजट को इसलिए बहुत याद किया जाता है, क्योंकि इसमें इंडिनय इकोनॉमी को जंजीरों से बाहर निकालने की कोशिश की गई थी। यह भी पढ़ें : Budget 2023: शेयर बाजार में निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ाने के लिए वित्तमंत्री उठा सकती हैं बड़े कदम यशवंत सिन्हा (2001) पूर्व वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा ने 2001 के अपने बजट भाषण में शायरी का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था, "तकाजा है वक्त का कि तूफान से जूझो, कहां तक चलोगे किनारे-किनारे?" उनकी इस शायरी की काफी चर्चा हुई थी। पी चिदंबरम (2007) पी चिदंबरम के 2007 के बजट को हमेशा याद किया जाता है। उन्होंने अपने बजट भाषण में तमिल कवि और दार्शनिक तिरुवलुवर की पंक्तियों का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था, "ज्यादा अनुदान, संवेदना, सही शासन और कमजोर वर्ग के लोगों को राहत ही गुड गवर्नेंस की पहचान हैं।" बजट 2023 आने में बाकी हैं सिर्फ कुछ दिन, इसकी खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें अरुण जेटली (2017) अरुण जेटली ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद देश की खराब वित्तीय स्थिति के लिए यूपीए सरकार की आलोचना की थी। उन्होंने कहा था कि यूपीए सरकार अपने पीछे जो समस्याएं छोड़ कर गई है, उसका मुकाबला मोदी सरकार करेगी। उन्होंने कहा था, "कश्ती चलाने वालों ने जब हारकर दी पतवार हमें, लहर- लहर तूफान मिले और मौज-मौज मझदार मुझे।" निर्मला सीतारमण (2021) निर्मला सीतारमण ने कोरोना की महामारी के बीच साल 2021 में बजट पेश किया था। वह बहुत मुश्किल वक्त था। लॉकडाउन की काफी मार इकोनॉमी पर पड़ी थी। तब उम्मीद जगाने वाली रवींद्र नाथ टैगोर की कविता की कुछ पंक्तियों का जिक्र उन्होंने किया था। उन्होंने कहा था, "विश्वास वह चिडिया है जो तब रोशनी का अहसास करती है और गीत गुनगुनाती है जब सुबह से पहले रात का अंधेरा छट रहा होता है। "

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