Tuesday, December 20, 2022

SoftBank ने 2022 में भारत में 84% घटाया निवेश, जानिए क्यों बदली स्ट्रैटजी?

SoftBank Group Corp : भारत में चर्चित टेक मार्केट इनवेस्टर्स में से एक सॉफ्टबैंक ग्रुप कॉर्प  ने एक साल पहले की तुलना में 2022 में देश में अपने निवेश में 84 फीसदी से ज्यादा की कटौती की है। कंपनी वैश्विक चिंताओं को देखते हुए सावधानीपूर्वक निवेश कर रही है। भारत की 100 से ज्यादा यूनिकॉर्न में से लगभग 20 फीसदी में निवेश करने वाली कंपनी ने इस साल भारतीय स्टार्टअप्स में 50 करोड़ डॉलर का निवेश किया है, जबकि 2021 में उसने 3.2 अरब डॉलर का निवेश किया था। मनीकंट्रोल द्वारा जुटाए गए डेटा से यह बात सामने आई है। SoftBank ने इस साल भी अभी तक लगभग छह डील्स में भाग लिया है, जबकि 2021 में 21 स्टार्टअप्स में निवेश किया था। गिरते बाजार में Softbank के फाउंडर को मिला मौका, ताबड़तोड़ खरीदारी कर बढ़ाई हिस्सेदारी, मिला वीटो का अधिकार जानिए कितना घट गया निवेश डेटा के मुताबिक, इस साल का निवेश पिछले छह साल के 1.875 अरब डॉलर के औसत से खासा कम है। साल के शुरुआती 11 महीने में औसतत निवेश भी घटकर 8.33 करोड़ डॉलर रह गया, जबकि 2021 में साल भर यह आंकड़ा 18.5 करोड़ डॉलर रहा था। SoftBank ने अपने विजन फंड इनवेस्टमेंट (Vision Fund investment) से 2017 के बाद अभी तक 11.2 अरब डॉलर से ज्यादा का निवेश किया है। 2017 में ही कंपनी ने 4.1 अरब डॉलर से ज्यादा का निवेश किया था और यह भी सिर्फ तीन डील्स के जरिये हुआ था। चार कंपनियों से निकली सॉफ्टबैंक सूत्रों ने कहा, SoftBank ने अभी तक अपने विजन फंड इनवेस्टमेंट के जरिये 15 अरब डॉलर का निवेश किया है। 2021 में, सॉफ्टबैंक ने कम से कम तीन राउंड में 50 करोड़ डॉलर से ज्यादा का निवेश किया। डाटा इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म वेंचर इंटेलिजेंस द्वारा जुटाए गए डेटा के मुताबिक, जापान की दिग्गज निवेशक ने फ्लिपकार्ट के 3.6 अरब डॉलर, एरडिटस (Eruditus) के 65 करोड़ डॉलर और मीशो (Meesho) के 64.5 करोड़ डॉलर के राउंड में निवेश किया था। सॉफ्टबैंक ने Unacademy के 44 करोड़ डॉलर और स्विगी (Swiggy) के  45.1 करोड़ डॉलर के राउंड में भी भाग लिया था। हालांकि, इस साल सॉफ्टबैंक चार कंपनियों से एक्जिट हुई जो पिछले आठ साल में सबसे ज्यादा एग्जिट हैं। पब्लिक मार्केट को नहीं मिला सहारा इंडस्ट्री के जानकारों का मानना है कि भारत के पब्लिक मार्केट की तुलना में प्राइवेट मार्केट्स में घरेलू इनवेस्टर्स को सहारा नहीं मिलता है। देश के पब्लिक मार्केट्स को यहां की लगभग 40 लाख करोड़ रुपये की म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री को सपोर्ट मिलता है, जिसने विदेश इनवेस्टर्स द्वारा की गई बिकवाली के दबाव को सोख लिया।

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