इनफ्लेशन की वजह से दुनिया के ज्यादातर हिस्सों में लोग मुश्किलों का सामान कर रहे हैं। ऐसे में इंडिया उम्मीद की इकलौती किरण है। SBI Research's Ecowrap report में यह बात कही गई है। यह रिपोर्ट 2 दिसंबर को आई है। SBI Group के चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर सौम्य कांति घोष ने यह रिपोर्ट तैयार की है। इसमें कहा गया है कि ग्लोबल इकोनॉमी (Global Economy) से 'अच्छा' शब्द फिलहाल गायब हो गया है। अनिश्चितता की स्थिति से कई देशों के लिए मुश्किल बढ़ गई है। लेकिन, अच्छी बात यह है कि अनिश्चितता के इस माहौल में इंडिया उम्मीद की एकमात्र किरण दिख रहा है। इस रिपोर्ट में इंडिया में कॉस्ट ऑफ लिविंग (Cost of Living) की तुलना अमेरिका, इंग्लैंड और जर्मनी से की गई है। इस एनालिसिस के लिए रुपये को कॉमन डिनॉमिनेटर के रूप में इस्तेमाल किया गया है। इंडिया में परिवार का खर्च सबसे कम बढ़ा इस रिपोर्ट के मुताबिक, "हमने पाया है कि रुपये में अगर इंडिया मे परिवार का खर्च सितंबर 2021 में 100 रुपये था तो यह इंडिया और अमेरिका में यह अब 12 रुपये बढ़ चुका है। लेकिन, जर्मनी में यह 20 रुपये और इंग्लैंड में 23 रुपये बढ़ा है।" इस रिपोर्ट में कहा गया है कि फूड प्राइसेज के मामले में इंडिया का प्रदर्शन सबसे अच्छा रहा है। सितंबर 2021 में चार देशों में 100 रुपये की किसी चीज की कीमत अब अमेरिका में 25 रुपये बढ़ी है, इंग्लैंड में 18 रुपये बढ़ी है और जर्मनी में 15 रुपये बढ़ा है। लेकिन, इंडिया में यह 15 रुपये बढ़ा है। यह भी पढ़ें : कम महंगाई वाले दौर में वापस जा सकती है ग्लोबल इकोनॉमी: RBI के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन इसी अवधि में अमेरिका में शेल्टर की कीमत 21 रुपये बढ़ी है। इंग्लैंड में 30 रुपये बढ़ी है। जर्मनी में 21 रुपये बढ़ी है, जबकि इंडिया में सिर्फ 6 रुपये बढ़ी है। इस दौरान अमेरिका में एनर्जी की कीमत 16 रुपये बढ़ी, अमेरिका में 12 रुपये बढ़ी, इंग्लैंड में 93 रुपये बढ़ी है और जर्मनी में 62 रुपये बढ़ी है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना की महामारी के बाद दुनियाभर में परिवारों का बजट बढ़ा है। लेकिन, इंडिया में हालात दूसरे देशों के मुकाबले बेहतर हैं। इंडियन इकोनॉमी की सेहत बेहतर Goldman Sachs Group के चीफ इंडिया इकोनॉमिस्ट शांतनु सेनगुप्ता ने भी गुरुवार को कहा था कि इंडियन इकोनॉमी की सेहत दूसरे देशों के मुकाबले अच्छी है। उन्होंने कहा कि सरकार ने देश में मैन्युफैक्चरिंग बेस बढ़ाने के उपाय किए हैं। यहां उत्पादन करने वाली कंपनियों के लिए इनसेंटिव का ऐलान किया है। इसके अच्छे नतीजे मिले हैं। इंडिया में इनवेस्ट करने में विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) खासकर फॉरेन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट में काफी दिलचस्पी देखने को मिली है। इसकी वजह यह है कि इंडिया का फ्यूचर उन्हें अच्छा दिख रहा है।
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