Saturday, December 24, 2022

ग्रोथ को मंदी से कोई खतरा नहीं, लेकिन इसे लेकर चिंता जताई RBI मेंबर ने

दुनिया भर में मंदी की आशंका जताई जा रही है। हालांकि RBI के रेट पैनल के एक सदस्य जयंत रमा वर्मा इसे कर्ज की बढ़ती लागत के चलते भारतीय ग्रोथ के लिए खतरा नहीं मान रहे हैं। हालांकि उनका कहना है जरूरत से ज्यादा सख्त मौद्रिक नीतियों से इकोनॉमी की ग्रोथ सुस्त हो सकती है। इसका असर नए रोजगार पर निगेटिव दिख सकता है और उत्पादकता पर भी। ब्लूमबर्ग के साथ ई-मेल इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि कोरोना के चलते दो साल गंवाने के बाद अब फिर ग्रोथ सुस्त रहे, इसका अधिक डर है। आरबीआई ने हाल ही में रेपो रेट में बढ़ोतरी किया था, वर्मा इसके भी खिलाफ दिख रहे हैं कि यह ज्यादा सख्त है। इस साल आरबीआई रेपो रेट में 225 बेसिस प्वाइंट्स (2.25 फीसदी) की बढ़ोतरी कर चुका है। क्या है वर्मा की चिंता वर्मा का कहना है कि भारत ऐसी अवस्था में है जहां इतनी ग्रोथ की जरूरत है ताकि रोजगार के ढेर सारे मौके तैयार किए जा सकें। देश में तेजी से बेरोजगारों की संख्या बढ़ रही है तो ऐसे में उन्होंने कहा कि मौद्रिक नीतियों की जरूरत से ज्यादा सख्ती ग्रोथ पर निगेटिव असर डाल सकता है और इसके चलते रोजगार के मौके तैयार करने पर भी निगेटिव इफेक्ट पड़ेगा। भारत की 3.18 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था सितंबर तिमाही में सालाना आधार पर 6.3 फीसदी की दर से बढ़ी जबकि उसकी एक तिमाही पहले यह 13.5 फीसदी की दर से बढ़ी थी। Covid News: 20 दिनों में 4 करोड़ नहीं 25 करोड़ को हुआ कोरोना, चीन के गुप्त दस्तावेजों से बड़ा खुलासा ग्रोथ की यह रफ्तार सख्त मौद्रिक नीतियों के चलते सुस्त हुई थी। हाल ही में एमपीसी की जो बैठक हुई थी, उसमें वर्मा ने कहा था कि 6.25 फीसदी की रेपो रेट इकोनॉमिक ग्रोथ के लिए खतरा है। इससे पहले महंगाई से निपटने के लिए उन्होंने 6 फीसदी की दर को ही पर्याप्त बताया था। हालांकि उन्होंने कहा कि आक्रामक सख्ती से मांग कम होगी और जल्द ही महंगाई नीचे आएगी। तेज ग्रोथ हासिल करने देश की जरूरत अधिकतर एनालिस्ट्स का मानना है कि भारत जल्द ही चीन को पछाड़ दुनिया में सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बन जाएगा तो ऐसे में उसके पास 7 फीसदी की ग्रोथ रेट हासिल करने की क्षमता है। खास बात यह है कि हर साल 1 करोड़ से अधिक नए युवा रोजगार की तलाश में निकल रहे हैं तो उन्हें रोजगार देने के लिए इतनी ग्रोथ की जरूरत है। सीएमआईई के आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर में भारत में बेरोजगारी दर 8 फीसदी के ऊपर पहुंच चुकी है जो मार्च 2020 के बाद से सबसे अधिक है।

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