पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी (Hardeep Singh Puri) ने शनिवार को साफ शब्दों में कहा कि भारत उस किसी भी देश से तेल खरीदना जारी रखेगा, जहां से उसे खरीदना है। साथ ही उन्होंने ये भी साफ किया है कि किसी भी देश ने भारत को रूस से तेल खरीदने (Russia Oil Purchase) से न तो मना किया और न की खरीदारी रोकने को कहा। यूक्रेन पर रूस के हमले (Russia Ukraine Attack) के बाद पश्चिमी देशों ने रूस से तेल खरीदना बंद कर दिया था। इससे उसके तेल के दाम गिर गए थे। ऐसी स्थिति में चीन और भारत ने कम दाम पर रूस से तेल की खरीदना जारी रखा है। भारत दुनिया का तीसरा बड़ा तेल इंपोर्टर और कंज्यूमर देश है। क्लीन एनर्जी पर अमेरिका के अधिकारियों के साथ बातचीत के लिए यहां पहुंचे पुरी ने कहा कि अपने उपभोक्ताओं को किफायती दामों पर एनर्जी उपलब्ध करवाना सरकार की नैतिक जिम्मेदारी होती है। पुरी ने यहां भारतीय मीडिया से कहा, "भारत को जिससे भी तेल खरीदना है, वह खरीदेगा और इसकी साधारण सी वजह यह है कि भारत की उपभोक्ता आबादी के संदर्भ में इस तरह की चर्चा नहीं की जा सकती। वैसे भी हमें रूस से तेल खरीदने से किसी ने मना नहीं किया है।" इसके साथ ही उन्होंने भरोसा जताया कि भारत तेल निर्यातक देशों के संगठन OPEC और उसके सहयोगियों ‘ओपेक प्लस’ से तेल प्रोडक्सन में हर दिन 20 लाख बैरल की कटौती करने के फैसले के असर को कम करने में सक्षम होगा। पुरी ने अमेरिकी ऊर्जा मंत्री जेनिफर ग्रेनहोम के साथ द्विपक्षीय बातचीत भी की। इसके बाद उन्होंने कहा, "अगर आप अपनी तेल नीति को लेकर साफ हैं, जिसका मतलब है कि आप ऊर्जा सुरक्षा और एनर्जी अफॉर्डेबिलिटी में भरोसा करते हैं, तो आप जिन स्रोतों से एनर्जी खरीदना चाहते हैं, उसे खरीदेंगे।" भारत की तेल जरूरतों की 85 प्रतिशत सप्लाई इंपोर्ट से होती है। इसके साथ ही भारत तेल खरीद के अपने स्रोतों का दायरा बढ़ाने की कोशिश में लगा हुआ है। भारत सरकार इस आधार पर रूस से तेल खरीद का बचाव करती रही है कि उसे वहां से तेल खरीदना होगा, जहां सबसे सस्ता है। सरकार ने अमेरिका के नेतृत्व वाले G7 ग्रुप की उस योजना में शामिल होने की कोई इच्छा नहीं जताई, जिसमें रूस के राजस्व को सीमित करने के मकसद से उससे खरीदे गए तेल के दाम की सीमा तय करने का प्रस्ताव रखा गया है। पुरी ने एक सवाल के जवाब में कहा कि भारत OPEC ग्रुप का सदस्य नहीं है, लेकिन ओपेक के फैसलों का उस पर असर होता है। उन्होंने कहा कि ओपेक के सदस्य देशों को तेल उत्पादन पर फैसला करने का संप्रभु अधिकार है। उन्होंने कहा, "मैंने परंपरागत रूप से हमेशा यह बात कही है कि वे कितने तेल का प्रोडक्शन करना चाहते हैं और बाजार में कितनी सप्लाई करना चाहते हैं, यह फैसला करने का उन्हें पूरा अधिकार है। लेकिन मैं हमेशा कहता हूं कि यह अपेक्षित और अनपेक्षित परिणामों के सिद्धांत पर निर्भर है।"
from HindiMoneycontrol Top Headlines https://ift.tt/1qFZ253
via
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
-
The Doha accord would see thousands of American troops quit Afghanistan in a phased plan after more than 18 years in return for various secu...
-
A mysterious dissident group accused of breaking into the North Korea's embassy in Madrid last month said on Thursday it was temporarily...
-
The launch on Monday came two days North Korea's state media said leader Kim Jong Un supervised an artillery drill aimed at testing the ...
No comments:
Post a Comment