थरूर भारत में ब्रिटिश साम्राज्यवाद के मुखर आलोचक हैं। उन्होंने न केवल इस पर कई किताबें लिखी हैं। उन्होंने यह भी कहा है कि अंग्रेजों को भारत का भुगतान करना है। साथ ही, अंग्रेजों के देश छोड़ने के बाद भारत की दुर्दशा को उजागर करने के लिए वह अक्सर बातचीच और कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लेते हैं। एक टॉक शो में, जब थरूर से पूछा गया कि अगर अंग्रेजों ने उपनिवेश नहीं बनाया होता तो भारत कैसा होता? उन्होंने कहा, "अंग्रेज दुनिया के सबसे अमीर देशों में से एक में आए। 1700 के दशक में ग्लोबल GDP का 27 प्रतिशत, 1800 के दशक में 23 प्रतिशत और 200 से ज्यादा सालों के शोषण ने बाद में इसे तीसरी दुनिया के लिए एक पोस्टर चाइल्ड में बदल दिया। 1947 में अंग्रेजों के जाने के बाद वैश्विक GDP के केवल 3 प्रतिशत से ज्यादा और 90 प्रतिशत आबादी गरीबी रेखा से नीचे रह गई थी और साक्षरता दर 17 प्रतिशत से कम थी। वह आगे कहते हैं, "1900 से 1947 तक ब्रिटिश भारत की विकास दर 0.001 प्रतिशत थी। देश को टैक्स के जरिए और संसाधनों से खत्म करते हुए वे यही कर रहे थे।"I think @twitter ought to have an option for something to press when you can’t respond without losing your cool. For now I will content myself with https://t.co/6tWpUuSuMR
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) September 13, 2022
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