Sunday, July 24, 2022

पश्चिम बंगाल में नशे की लत को पूरा करने के लिए कंडोम का इस्तेमाल कर रहे छात्र! तरीका जानकर आप भी रह जाएंगे हैरान

पश्चिम बंगाल (West Bengal) के दुर्गापुर (Durgapur) में छात्रों को कंडोम (Condom) के इस्तेमाल की लत लग गई है। मगर हैरानी की बात ये है कि ये छात्र इसका इस्तेमाल सुरक्षित संभोग के लिए नहीं, बल्कि इसके जरिए नशा (Intoxication) करते हैं। वे कंडोम को पहले गर्म पानी में भिगोते हैं और फिर उस पानी को पीते हैं। इसका नतीजा ये होता है कि इससे नशा होता है, जिसका असर 10 से 12 घंटे तक रहता है। News18 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दुर्गापुर सिटी सेंटर, बिधाननगर, बेनाचिटी, और मुचिपारा, सी जोन, ए जोन समेत दुर्गापुर के कई हिस्सों में फ्लेवर्ड कंडोम की बिक्री काफी बढ़ गई है। एक नियमित ग्राहक से पूछताछ करने पर एक दुकानदार को इस बढ़ोतरी का कारण पता चला। दुर्गापुर की एक मेडिकल शॉप के दुकानदारों ने News18 को बताया, “पहले कंडोम के तीन से चार पैकेट प्रति दुकान प्रति दिन बेचे जाते थे। मगर अब एक स्टोर से कंडोम का पैकेट के पैकेट खत्म हो रहे हैं।” दुर्गापुर आरई कॉलेज मॉडल स्कूल के फिजिक्स के शिक्षक नूरुल हक ने कहा “कंडोम को गर्म पानी में लंबे समय तक भिगोने से बड़े कार्बनिक कंपाउंड टूट जाते हैं और अल्कोहल के कंपाउंड बनते हैं। ये कंपाउंड युवाओं को मदहोश कर रहा है।" दुर्गापुर उप-जिला अस्पताल के अधीक्षक धीमान मंडल ने बंगलाहंट को बताया, “कंडोम में किसी तरह का सुगंधित कंपाउंड होता है। इसे तोड़कर शराब बनाई जाती है। यह सुगंधित कंपाउंड डेंड्राइट्स में भी पाया जाता है। तो कई को कंपाउंड के नशे में देखा जाता है।" UIDAI: 6 लाख लोगों के आधार कार्ड हो गए रद्दी के कागज, जानिए कहीं आपका आधार तो नहीं हो गया रद्द कंडोम बाजार में आसानी से मिल जाता है और ये नशीले पदार्थों की कैटेगरी में भी नहीं आता है। नशे करने वाले कई लोग कफ सिरप, हैंड सैनिटाइजर, आफ़्टरशेव, सूंघने वाला गोंद, पेंट, नेल पॉलिश, व्हाइटनर और यहां तक ​​कि ब्रेड पर आयोडेक्स लगा कर भी खाते हैं। जबकि पश्चिम बंगाल पुलिस ने अभी तक इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं की है। हैदराबाद में पुलिस ने हाल ही में कहा है कि वे नशे का सेवन करने वालों के खिलाफ मामला दर्ज नहीं कर सकतीं, क्योंकि भारतीय दंड संहिता (IPC) के पास इससे निपटने के लिए कोई कानून नहीं है। पुलिस ने यह भी कहा कि व्हाइटनर और कफ सिरप जैसे प्रोडक्ट में शामक की मात्रा कम होती है और ये नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक एक्ट (NDPS) के तहत नहीं आते हैं।

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