Wednesday, May 18, 2022

Lancet study: भारत में वायु प्रदूषण की स्थिति भयावह, 2019 में जहरीली हवा की वजह से 23.5 लाख लोगों की मौत

'द लांसेट प्लैनेटरी हेल्थ जर्नल' में प्रकाशित एक नए अध्ययन के अनुसार, भारत में 2019 में प्रदूषण के चलते 23.5 लाख से अधिक लोगों की मौत हुई है। ये सभी मौतें समय से पहले हुई हैं। यह आंकड़ा वैश्विक स्तर पर सभी देशों में सबसे अधिक है। अध्ययन में दावा किया गया है कि दुनिया भर में हर तरह का प्रदूषण साल भर में करीब 90 लाख लोगों की जान लेता है। वाहनों और उद्योगों के धुएं के कारण हुए वायु प्रदूषण की वजह से मरने वालों की संख्या 2,000 के बाद से 55 प्रतिशत बढ़ गई है। अध्ययन के अनुसार, इन 23 लाख मौतों में से करीब 16.7 लाख मौत वायु प्रदूषण और 5 लाख से ज्यादा मौतें जल प्रदूषण के चलते हुई है। इसके अलावा अन्य प्रदूषण के कारण लोगों की मौत हुई। भारत में वायु प्रदूषण से संबंधित मौतों में से अधिकांश (9.8 लाख) PM 2.5 कणों के कारण होने वाले परिवेशी वायु प्रदूषण से जुड़ी थीं। अमेरिका में क्या हैं हालात अमेरिका प्रदूषण से होने वाली मौतों के मामले में शीर्ष 10 देशों में से एकमात्र ऐसा देश है जो पूरी तरह से उद्योग पर निर्भर है। 2019 में प्रदूषण से होने वालीं 142,883 मौतों के साथ वह विश्व में सातवें स्थान पर है, जिसके पहले और बाद में क्रमश: बांग्लादेश और इथियोपिया हैं। यदि मौत को प्रति जनसंख्या दर के हिसाब से देखा जाए तो अमेरिका नीचे से 31वें स्थान पर आता है। यहां प्रति 100,000 की आबादी में प्रदूषण के कारण मौत का आंकड़ा 43.6 है। भारत और चीन सबसे ज्यादा शिकार भारत और चीन प्रदूषण से होने वाली मौतों के मामले में दुनिया में सबसे आगे हैं। भारत में सालाना लगभग 2.4 लाख लोगों की तो चीन में लगभग 2.2 लाख लोगों की मौत प्रदूषण के कारण होती हैं, लेकिन दोनों देशों में दुनिया की सबसे बड़ी आबादी भी है। चाड और मध्य अफ्रीकी गणराज्य प्रति 100,000 की आबादी पर प्रदूषण से होने वाली लगभग 300 मौत के साथ उच्चतम स्थान पर हैं। इनमें से आधी से अधिक मौत का कारण दूषित पानी है। वहीं, ब्रुनेई, कतर और आइसलैंड में प्रदूषण के कारण मृत्यु दर 15 से 23 के बीच सबसे कम है। प्रदूषण की वजह से मौत का वैश्विक औसत प्रति 100,000 लोगों पर 117 है।

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