दुनियाभर के लोगों को महंगाई की आग में झोंकने वाले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) ने पश्चिमी देशों पर बड़ा आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि पश्चिमी देशों ने वैश्विक आर्थिक संकट पैदा किया है। उन्होंने यह भी कहा है कि पश्चिमी देशों के रूस पर प्रतिबंध लगा देने से दुनियाभर में इनफ्लेशन बढ़ा है। रूस ने 24 फरवरी को यूक्रेन पर हमला (Ukraine Crisis) किया था। इसके जवाब में अमेरिका और पश्चिमी देशों ने रूस पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए थे। पुतिन ने कहा कि पश्चिमी देशों के रूस पर प्रतिबंध लगा देने से ग्लोबल क्राइसिस पैदा हुई है। उन्होंने कहा कि इसका सबसे ज्यादा नुकसान पश्चिमी देशों को होगा। इन प्रतिबंधों की वजह से दुनिया के कुछ गरीब देशों में भुखमरी जैसे हालात पैदा हो सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इसके लिए पूरी देश से जिम्मेदार होंगे, जो दुनिया में अपने प्रभुत्व के लिए बाकी लोगों के हितों की अनदेखी कर रहे हैं। यह भी पढ़ें : Rakesh Jhunjhunwala के इस शेयर में हो सकती है 73% तक की कमाई, ब्रोकरेज हाउसों ने Q4 नतीजों के बाद जताया भरोसा पुतिन ने कहा है कि रूस पश्चिमी देशों के प्रतिबंध से पैदा हुई स्थिति से निपटने में सक्षम है। इसका श्रेय हाल के सालों में रूस में अपनाई गई बुनियादी आर्थिक पॉलिसी को जाता है। सरकार ने पिछले कुछ समय में ऐसे कई फैसले लिए हैं, जिससे रूस की आर्थिक संप्रभुता को मजबूती मिली है। साथ ही टेक्नोलॉजी और फूड सिक्योरिटी के मामले में रूस सक्षम बना है। यूक्रेन पर हमले और फिर आर्थिक प्रतिबंधों का रूस की इकोनॉमी पर बड़ा असर पड़ा है। 2022 में रूस की जीडीपी 12 फीसदी से ज्यादा घट सकती है। 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद से यह रूस की जीडीपी में सबसे बड़ी गिरावट होगी। रूस क्रूड, गैस सहित कई प्राकृतिक संसाधनों का बड़ा सप्लायर है। प्रतिबंध की वजह से वह इन चीजों का निर्यात नहीं कर पा रहा है। पुतिन ने कहा कि रूबल रूस की इकोनॉमी की मजबूती का सबूत है। प्रतिबंधों के बावजूद यह इस साल दुनिया में सबसे अच्छा प्रदर्शन वाली करेंसी में शामिल है। गुरुवार (12 मई) को डॉलर के मुकाबले रूबल मजबूत हो कर 65 के स्तर पर पहुंच गया। इससे पहले यह 2020 की शुरुआत में इस स्तर पर था। यूक्रेन पर हमले के बाद से पुतिन ने रूबल को गिरने से बचाने के लिए कई बड़े फैसले किए हैं। रूस के राष्ट्रपति ने कहा कि इस साल देश में गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन होने जा रहा है। रूस गेहूं के बड़े उत्पादक देशों में शामिल है। पुतिन सरकार का कहना है कि उसके सामने सबसे बड़ी चुनौती सप्लाई चेन में आई बाधा है। इसका असर आयात और निर्यात दोनों पर पड़ा है।
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