Saturday, April 23, 2022

Reliance Industries और फ्यूचर की डील अब नहीं होगी पूरी, जानिए वजह

रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries) और फ्चूचर ग्रुप के बीच हुई डील पूरी नहीं हो सकती। खुद रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL) ने यह बताया है। उसने 23 अप्रैल यानी शनिवरा को स्टॉक एक्सचेंजों को यहत जानकारी दी। रिलायंस इंडस्ट्रीज ने फ्यूचर रिटेल (FRL) के रिटेल एसेट्स को खरीदने के लिए 3.4 अरब डॉलर की डील की थी। रिलायंस इंडस्ट्रीज ने कहा है कि यह डील इसलिए नहीं हो सकती, क्योंकि फ्यूचर को कर्ज देने वालों (Secured Creditors) ने इस डील के खिलाफ वोटिंग की है। फ्यूचर ने अपने शेयरहोल्डर्स और क्रेडिटर्स के बीच अपने एसेट्स को रिलायंस रिटेल वेंचर्स (RRVL) को ट्रांसफर पर वोटिंग कराई थी। RRVL रिलायंस इंडस्ट्रीज की कंपनी है। यह भी पढ़ें : तेज ग्रोथ का चीन का मॉडल इंडिया के लिए फायदेमंद नहीं : Raghuram Rajan रिलायंस ने कहा है कि फ्यूचर ग्रुप ने डील पर हुई वोटिंग के नतीजों की जानकारी हमें दी है। उसने कहा है, "वोटिंग के नतीजों के मुताबिक, FRL के अनसेक्योर्ड क्रेडिटर्स और शेयरहोल्डर्स ने तो इस स्कीम के पक्ष में वोटिंग की है। लेकिन सेक्योर्ड क्रेडिटर्स ने स्कीम के खिलाफ वोटिंग की है। इसलिए अब यह स्कीम पूरी नहीं की जा सकती।" एफआरएल को कर्ज देने वालों ने इस डील के खिलाफ तब वोटिंग की है, जब इस डील को अमेजॉन के चैलेंज करने के बाद कोर्ट में मामला चल रहा है। अमेजॉन ने इस डील के लिए फ्यूचर पर उसके साथ हुए कॉन्ट्रैक्ट्स की शर्तें तोड़ने का आरोप लगाया था। हालांकि, फ्यूचर अमेजॉन के आरोपो को खारिज कर चुकी है। इस मामले में कई स्तर के कोर्ट्स में सुनवाई चल रही है। इस साल फरवरी में रिलायंस ने अचानक फ्यूचर के सैकड़ों स्टोर्स को अपने कब्जे में ले लिया था। उसने किराए का पेमेंट नहीं होने को इसकी वजह बताई थी। इससे फ्यूचर को कर्ज देने वाले बैंकों में नाराजगी थी। बैंक पहले से फ्चूयर के खिलाफ डेट रिकवरी की प्रोसिडिंग्स शुरू कर चुके हैं। फ्यूचर ग्रुप पर कुल मिलाकर बैंकों का 4 अरब डॉलर से ज्यादा कर्ज है। बैंकों ने इस लोन को अब एनपीए की कैटेगरी में शामिल करना शुरू कर दिया है। बैंकों को सेक्योर्ड क्रेडिटर्स कहा जाता है। डेट रिजॉल्यूशन में इन्हें टॉप प्रायरिटी मिलती है। दरअसल, रिलायंस ने बॉन्डहोल्डर्स को पूरे पैसे लौटाने का आश्वासन दिया था। इससे बैंक नाराज हो गए थे।

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