लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (LIC) का इनीशियल पब्लिक ऑफर (IPO) 50,000 करोड़ रुपये से अधिक के रहने की उम्मीद है। LIC के आईपीओ से पहले उसके रेवेन्यू और प्रॉफिट ग्रोथ से जुड़े आंकड़ों को निवेशकों और खासतौर से रिटेल निवेशकों की तरफ से बारीकी से नजर रखी जाएगी। सरकारी बीमा कंपनी की मार्च तिमाही के जारी आंकड़े सुकून देने वाले नहीं है। LIC का न्यू बिजनेस प्रीमियम उसके प्रतिद्वंदी कंपनियों के मुकाबले धीमी गति से बढ़ा है। मनीकंट्रोल ने प्रभुदास लीलाधर में इनवेस्टमेंट प्रोडक्ट्स के हेड पीयूष नागदा से इस बारे में बातकर इसे समझने की कोशिश की। LIC का न्यू बिजनेस प्रीमियम वित्त वर्ष 2022 के पहले 11 महीने में 0.24 फीसदी की दर से बढ़ा है, जबकि इसकी प्रतिद्वंदी प्राइवेट कंपनियों की ग्रोथ 25 फीसदी रही है। आपको क्या लगता है कि LIC का न्यू बिजनेस प्रीमियम इतनी धीमी गति से क्यों बढ़ा है? बीमा एक सीजनल बिजनेस है, जिसमें 3 महीनों (जनवरी फरवरी और मार्च) में ही सबसे ज्यादा तेजी देखी जाती है। LIC का न्यू बिजनेस प्रीमियम 11 महीनों तक धीमी गति से बढ़ा है, लेकिन अगर आप फरवरी 2020 के आंकड़े देखें तो आप पाएंगे कि इस महीने इसका न्यू बिजनेस प्रीमियम 35 फीसदी बढ़ा है और इसने अपनी प्रतिद्वंदी कंपनियों को बड़े अंतर से पीछे छोड़ा है। हमें उम्मीद है कि यह मार्च में भी जारी रहेगा। हालांकि फिर भी यह प्राइवेट कंपनियों से इस वित्त वर्ष में पीछे रहेगा। LIC के न्यू बिजनेस प्रीमियम की धीमी ग्रोथ के पीछे प्रोडक्ट मिक्स, चैनल मिक्स और एवरेज टिकट साइज को मुख्य कारण के तौर पर देखा जा सकता है। LIC, नॉन-पार्टिसिपेटिंग बचत उत्पादों पर बहुत अधिक निर्भर है, जबकि प्राइवेट बीमा कंपनियां मार्केट रिटर्न से जुड़े पार्टिसिपेटिंग उत्पादों और ULIP (यूनिट-लिंक्ड बीमा योजना) पर ज्यादा जोर देते हैं। दूसरा कारण यह है कि LIC अपने उत्पादों की बिक्री के लिए व्यक्तिगत एजेंटों पर काफी निर्भर है, जबकि प्राइवेट कंपनियां बैंकएश्योरेंस और कॉरपोरेट एजेंटों के जरिए बिक्री पर जोर देती है। इनोवोटिव प्रोडक्ट और आक्रामक डिस्ट्रीब्यूशनल चैनल के जरिए प्राइवेट कंपनियों को अधिक एवरेज टिकट साइज हासिल करने में मदद मिलती है। यह भी पढ़ें- Sensex 8 सत्र में 5000 अंक चढ़ा, इनवेस्टर्स की वेल्थ 19 लाख करोड़ रुपये बढ़ी इस समय डिजिटल प्लेटफॉर्म काफी लोकप्रिय हो रहे हैं। ऐसे में क्या आपको लगता है कि LIC का डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम इसके ग्रोथ में आड़े आ रहा है? लाइफ इंश्योरेंस एक ऐसी चीज है, जिसके लिए लोगों को मोटिवेट करने और उन्हें मनाने की जरूरत पड़ती है। इसके लिए व्यक्तिगत तौर पर समझाना पड़ता है। यहां LIC के पास अपने एजेंट्स की एक पूरी सेना है, जिनकी छोटे शहरों, कस्बों और ग्रामीण इलाकों में बेहतर पहुंच है। हालांकि डिजिटल चैनलों की स्वीकार्यता भी तेजी से बढ़ रही है और ऑनलाइन बीमा प्लेटफॉर्मों ने बीमा खरीदारी को आसान, पारदर्शी और ज्ञान आधारित बनाया है। भविष्य में कारोबार का झुकाव डिजिटल डिस्ट्रीब्यूशन और सर्विसिंग क्षमता वाले बीमा खिलाड़ियों की ओर होगा। आपको क्या लगता है कि LIC ने फिनटेक कंपनियों की क्रांति के सामने खुद को कैसे ढाला है? LIC फिनटेक कंपनियों की तरफ से पेश की गई चुनौतियों को तेजी से स्वीकार कर रही है और अपने कारोबार को डिजिटल करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है। इसके डेटा और बैकएंड प्रक्रियाओं का डिजिटलीकरण हो चुका है और इन्हें पोर्टल पर अच्छी तरह से संभाला गया है। हालांकि फ्रंट मोर्च पर इसते एक यूजर फ्रेंडली मोबाइल ऐप पर काफी कुछ करना है, जो मार्केटिंग, सेल्स और यूजर एक्सपीरियंस के मामले में बेजोड़ हो। क्या 11 महीने के यह आंकड़े LIC की फ्यूचर ग्रोथ को लेकर कोई संकेत है क्योंकि मार्च तिमाही के आंकड़े भी अब तक कमजोर दिख रहे हैं? मार्च तिमाही पूरी लाइफ इंश्योरेंस इंडस्ट्री के लिए ही अच्छा नहीं रही है। हालांकि ओवरऑल धीमी ग्रोथ LIC को नुकसान पहुंचा सकती है। इसका बड़ा साइज फिलहाल इसकी मुख्य ताकत है, लेकिन अगर यह अपने प्रोडक्ट मिक्स और चैनल मिक्स में बदलाव नहीं करता है तो यही ताकत उसकी कमजोरी बन जाएगी। LIC के आईपीओ पर इन आंकड़ों का क्या असर होगा और क्या यह निवेशकों के सेंटीमेंट पर असर डाल सकता है? यह निवेशकों की भावनाओं को प्रभावित करेगा क्योंकि ग्रोथ में सुस्ती को अच्छे संकेत के तौर पर नहीं देखा जाता है (जहां तक बाजारों का संबंध है)। खासकर उन रिटेल निवेशकों पर इसका असर दिख सकता है, जो लिस्टिंग गेन की तलाश में हैं। इसका संस्थागत निवेशकों पर कम प्रभाव पड़ेगा जो लंबी अवधि के ग्रोथ को ध्यान में रखकर दांव लगाते हैं और वे इस विशाल कंपनी में बदलाव का इंतजार कर सकते हैं।
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