भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) का मेगा इनीशियल पब्लिक ऑफर (IPO) जल्द ही आने की उम्मीद है। LIC के आईपीओ की सबसे खास बात यह होने वाली है कि कंपनी अपने 25 करोड़ से अधिक पॉलिसीधारकों के लिए IPO में एक हिस्सा रिजर्व कर सकती है और उन्हें कुछ डिस्काउंट भी दे सकती है। LIC नियमित तौर पर विज्ञापन भी दे रही है कि उसके पॉलिसीधारक आईपीओ में निवेश के लिए कैसे अपना डीमैट अकाउंट खुलवा सकते हैं। पॉलिसीधारक LIC के बीमा उत्पादों से जरूर पहले से वाकिफ होंगे। हालांकि एक संभावित निवेशक के रूप में उनके लिए उन तकनीकी शब्दों और उनकी परिभाषाओं को भी जानना अहम है, जो लाइफ इंश्योरेंस कंपनियों और उनके वैल्यूएशन से जुड़े हुए हैं। अहम उत्पाद जीवन बीमा कंपनियां मृत्यु और गंभीर बीमारी के जोखिम के खिलाफ बीमा कवर मुहैया कराती है। साथ ही वह कुछ सेविंग्स प्रोडक्ट भी ऑफर करती है। कंपनी के उत्पादों में टर्म इंश्योरेंस, पेंशन प्लान, यूनिट-लिंक्ड सेविंग्स प्लान (ULIP), एन्यूटीज जैसी स्कीमें शामिल हैं, जिन्हें पॉलिसीधारक की जरूरतों को ध्यान में रखकर शामिल किया जाता है। प्रोटेक्शन बिजनेस व्यक्तिगत टर्म लाइफ उत्पादों में सिर्फ मृत्यु के जोखिम को कवर किया जाता है और सिर्फ मृत्यु होने की स्थिति में ही पेमेंट किया जाता है। अगर पॉलिसीधारक, पूरी टर्म अवधि के दौरान जीवित रहता है, तो उसे कोई भी भुगतान नहीं किया जाता है। वहीं ग्रुप प्रोडक्ट में बिजनेस लेवल पर डीलिंग्स शामिल होती है और इसमें ग्रुप क्रेडिट, ग्रुप लाइफ और ग्रुप हेल्थ जैसे उत्पाद शामिल हैं। सेविंग्स बिजनेस सेविंग्स प्लान का मुख्य उद्देश्य लंबी अवधि के निवेश के साथ उस पर रिटर्न हासिल करना होता है। इसमें लाइफ कवर के साथ एक मैच्योरिटी अमाउंट होता है, जो आम तौर पर टर्म इंश्योरेंस प्लान से कम होता है। सेविंग्स उत्पादों को दो कैटेगरी में बांटा जा सकता है- पारंपरिक उत्पाद (पार्टिसिपेटिंग उत्पाद और नॉन-पार्टिसिपेटिंग उत्पाद) और यूनिट-लिंक्ड प्रोडक्ट (ULIP)। पार्टिसिपेटिंग: इसमें एक न्यूनतम रिटर्न की गारंट दी जाती है और पॉलिसीधारक पॉलिसी के लाभ को ध्यान में रखकर उसे लेते हैं। भारत में नियमों के तहत सरप्लस लाभ को 90:10 के अनुपात में बांटा जाता है। इसमें 90 प्रतिशत पॉलिसीधारकों को और 10 प्रतिशत शेयरधारकों को दिया जाता है। नॉन-पार्टिसिपेटिंग: इसमें पॉलिसी की शुरुआत में ही भुगतान की पूरी गारंटी होती है। पॉलिसीधारक पॉलिसी के लाभ में हिस्सा नहीं लेते हैं। ULIP: - ये बाजार से जुड़े रिटर्न ऑफर करते हैं और इसमें पॉलिसीधारकों को कितनी राशि मिलेगी, यह बाजार में फंड के प्रदर्शन पर निर्भर करता है। ग्रुप सेविंग प्रोडक्ट: ये फंड मैनजेमेंट प्रोडक्ट होते हैं, जहां बीमा कंपनियां बड़े कारोबारी समूहों के लिए फंड का प्रबंधन करती हैं। उदाहरण के तौर पर: ग्रेच्युटी, रिटायरमेंट और लीव इनकैशमेंट। प्रोडक्ट मिक्स प्रोडक्ट मिक्स एक जरूरी पहलू है, जिस पर ध्यान देना चाहिए। प्रोडक्ट मिक्स ही बीमा कंपनी के मार्जिन और मुनाफे को सहारा देता है। कई प्राइवेट बीमा कंपनियां अपने प्रोडक्ट मिक्स में प्रोटेक्शन बिजनेस (शुद्ध टर्म लाइफ इंश्योरेंस) का हिस्सा बढ़ाना चाहती हैं क्योंकि इसमें ULIP की तुलना में उन्हें अधिक मार्जिन मिलता है। इंश्योरेंस सेक्टर में प्रोडक्ट मिक्स की स्थिति को आप इस ग्राफ से समझ सकते हैं- सॉल्वेंसी रेशियो किसी बीमा कंपनी को चलाने के लिए कितनी कैपिटल की जरूरत है, उसे सॉल्वेंसी रेशियों कहते हैं। इसे बीमा कंपनी की पॉलिसियों के पोर्टफोलियो को ध्यान में रखकर तय किया जाता है। मौजूदा नियमों के तहत हर समय न्यूनतम सॉल्वेंसी रेशियो 150 फीसदी होनी चाहिए। एम्बेडेड वैल्यू किसी भी बीमा कंपनी के वैल्यूएशन में एम्बेडेड वैल्यू की बहुत ही अहम भूमिका होती है। इसे कंपनी के भविष्य में होने वाली सभी लाभों की वर्तमान वैल्यू निकालकर उसे नेट एसेट वैल्यू (NAV) में जोड़कर निकाला जाता है। एम्बेडेड वैल्यू तय होने के बाद इसके आधार पर कंपनी की वैल्यूएशन तय की जाती है और फिर उस वैल्यूएशन के आधार पर आईपीओ की वैल्यू तय की जाती है।
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