गोवा में विधानसभा चुनाव (Goa Assembly Election 2022) के मतदान के लिए अब एक महीने से भी कम का समय रह गया है। ऐसे में चुनाव आयोग (EC) की तरफ से लगाए गए Covid-19 नियमों के बीच सभी पार्टियों ने चुनाव प्रचार में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है, लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि कांग्रेस (Congress) पार्टी को इस बार यह लड़ाई थोड़ी मुश्किल पड़ सकती है। विधायकों के दल-बदल की सबसे बड़ी शिकार हुई कांग्रेस के सामने, इन चुनावों में आम आदमी पार्टी (AAP) और तृणमूल कांग्रेस (TMC) भी एक चुनौती की तरह खड़े हैं। हालांकि, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री दिगंबर कामत (Digamber Kamat) ऐसी किसी भी चुनौती को नकारते हुए, सभी 40 विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी का मजबूत वोट बेस होने का दावा करते हैं और उनका कहना है कि कांग्रेस का वोट बैंक पार्टी का है, नेता का नहीं। Moneycontrol Hindi से खास बातचीत में विधायकों के दल-बदल के बाद पार्टी के डैमेज कंट्रोल पर दिगंबर कामत ने कहा, "गोवा के हर विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस का वोट बेस है, जो नेता के ऊपर निर्भर नहीं करता है, अगर लीडर चला जाए या विधायक चला जाए, तो कांग्रेस का बेस उसके साथ नहीं जाता है, जैसे कि हमने लोकसभा चुनावों में भी देखा था।" 'कांग्रेस के वोटर नहीं देखते उम्मीदवार' कांग्रेस को सबसे बड़ा झटका तब लगा, जब उसके 17 में से 10 विधायक एक साथ पार्टी छोड़ कर बीजेपी में चले गए, ऐसे में पार्टी के वोट बैंक पर सीधे-सीधे डेंट पड़ना लाजमी है, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनावों का उदाहरण देते हुए कामत ने इस बात को मानने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, "जहां भी 2019 में लोकसभा के चुनाव हुए, वहां के विधानसभा क्षेत्रों में हमारे विधायक नहीं थे, लेकिन कांग्रेस को तब भी वहां सात से आठ हजार वोट मिले, इसका मतलब यह कि कांग्रेस का बेस है, कांग्रेस के वोटर यह नहीं देखते हैं कि उम्मीदवार कौन है। विधायक गया उससे कोई फर्क नहीं पड़ता है, वोट बेस वैसा ही रहता है।" '2017 में हुई गलती, उसके लिए मांगता हूं माफी' साल 2017 में 17 सीटें मिलने के बाद भी कांग्रेस के सरकार नहीं बनाने पर नेता प्रतिपक्ष दिगंबर कामत ने उस दौरान लीडरशिप से हुई गलतियों को भी माना। उन्होंने कहा कि हमारी इसी गलती का फायदा बीजेपी ने उठा लिया और सरकार बना ली। कामत ने कहा, "बीजेपी की संख्या 21 से 13 विधायकों पर पहुंच गई थी, लेकिन इतना अंतर आने के बाद भी वे सरकार बनाने में कामयाब रहे। हमारे वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने लोगों से कहा कि इस तरह की गलती फिर से नहीं दोहराई जाएगी, हम गारंटी देते हैं।" जनता से माफी मांगते हुए मडगांव से कांग्रेस विधायक ने कहा, "मैं लोगों से माफी मांगता हूं कि, जो 2017 में हुआ वो ठीक नहीं हुआ, हम लोगों को जनमत देते हुए भी बीजेपी ने सरकार ने बनाई।" जनता से दिगंबर कामत का वादा इस बार कांग्रेस न सिर्फ 2017 की गलती के लिए माफी मांग कर बल्कि एक और नए वादे के साथ जनता से वोट की अपील कर रही है। बातचीत में दिगंबर कामत ने बताया कि इस बार हमने लोगों से यही वादा किया है कि एक भी डिफैक्टर यानी पार्टी को छोड़ कर जाने वाले नेताओं के वापस नहीं लिया जाएगा। उन्होंने कहा, "हमने एक पक्का वादा लोगों के साथ किया है, जो डिफैक्टर कांग्रेस छोड़ के चले गए, उनको हम वापस नहीं लेंगे और उस वादे पर हम पक्के हैं। जो विधायक हमें छोड़ कर गए थे, वो आज भी कहते हैं, हमको वापस ले लो, लेकिन एक भी विधायक को कांग्रेस ने वापस नहीं लिया है।" कांग्रेस से TMC में गए एलेक्सो रेजिनाल्डो लौरेंको का नाम लिए बिना ही कामत ने कहा कि कुछ दिन पहले हमारे एक विधायक टिकट की घोषणा होने के बाद दूसरी पार्टी में चले गए थे और अब वे वापस आना चाहते थे, उन्होंने वहां से भी इस्तीफा दे दिया, लेकिन उनको पार्टी लीडरशिप ने कहा कि नहीं वापस नहीं लेंगे। Goa Election 2022: मनोहर पर्रिकर के 'स्वर्णिम गोवा' के सपने को पूरा करने के लिए, क्या BJP को नहीं चाहिए बेटे उत्पल पर्रिकर का साथ? बता दें एलेक्सो रेजिनाल्डो तीन बार के विधायक हैं और वे कांग्रेस के वर्किंग प्रेसिडेंट भी रहे हैं। कांग्रेस ने उन्हें इस बार भी कर्टोरिम से टिकट दिया था, लेकिन वे घोषणा के बाद टीएमसी में चले गए थे। हैरानी की बात यह कि TMC ने भी कर्टोरिम से उनके नाम की घोषणा की थी, जिसके बाद रेजिनाल्डो ने वहां से भी इस्तीफा दे दिया था। कामत ने आगे कहा, "इससे एक मैसेज लोगों में गया है कि कांग्रेस पार्टी एक फर्म है, जिसने डिफैक्टर्स को न लेने का अपना वादा निभाया है।" कामत ने दावा किया, "10 लोग, जो एक साथ पार्टी छोड़ कर गए थे, उनमें से एक का भी जीत पाना मुश्किल है और अब वे सब वापस आने की इच्छा जताते हैं।" कौन हैं दिगंबर कामत? दिगंबर कामत, जून 2007 से मार्च 2012 तक गोवा के मुख्यमंत्री रहे हैं। कामत ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य के रूप में की थी। 1994 में, वह भारतीय जनता पार्टी गठबंधन सरकार में शामिल हुए थे। 2005 में, वह एक बार फिर मडगांव निर्वाचन क्षेत्र के मतदाताओं के जनमत संग्रह के समर्थन में कांग्रेस में शामिल हो गए थे। कामत की पहचान राज्य में एक तेज-तर्रार राजनेता के रूप की है। 2005 में मनोहर पर्रिकर के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार के पतन में कामत ने अहम भूमिका निभाई थी।
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