Friday, October 25, 2024

Fairfax Group के CSB Bank में और हिस्सेदारी बेचने की उम्मीद नहीं, जानिए बैंक के सीईओ प्रलय मंडल ने ऐसा क्यों कहा

प्रेम वत्स के फेयरफैक्स ग्रुप के सीएसबी बैंक में और हिस्सेदारी बेचने की उम्मीद नहीं है। सीएसबी बैंक के एमडी और सीईओ प्रलय मंडल ने यह अनुमान जताया है। मनीकंट्रोल को दिए इंटरव्यू में उन्होंने बैंक से जुड़ी कई अहम बातें बताईं। उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि फेयरफैक्स अपनी हिस्सेदारी बेचेगी। उसे कुछ हिस्सेदारी सिर्फ आरबीआई के नियम की वजह से बेचनी पड़ी है।

इस साल मार्च के बाद फेयरफैक्स ने 9.72 फीसदी हिस्सा बेचा था

इस साल की शुरुआत में फेयरफैक्स (Fairfax) ने CSB Bank बैंक में 9.72 फीसदी हिस्सेदारी बेची थी। 595 करोड़ रुपये का यह ट्रांजेक्शन ब्लॉक डील के जरिए हुआ था। सीएसबी बैंक ने इनवेस्टर्स को जो प्रजेंटेशन दिया है, उसके मुताबिक बैंक में फेयरफॉक्स की हिस्सेदारी मार्च 2024 में 49.72 फीसदी थी। हिस्सेदारी बेचने के बाद यह घटकर 40 फीसदी रह गई है।

सीएसबी बैंक के गोल्ड लोन पोर्टफोलियो में प्रॉब्लम नहीं

मंडल ने कहा कि सीएसबी बैंक ने अपने गोल्ड लोन पोर्टफोलियो का रिव्यू किया है। इससे पता चला है कि उसके पोर्टफोलियो पर ज्यादा असर नहीं पड़ा है। आरबीआई ने पिछले महीने बैंकों और एनबीएफसी को अपने गोल्ड लोन पोर्टफोलियो का रिव्यू करने को कहा था। इसके तहत बैंको को गोल्ड लोन से जुड़ी अपनी पॉलिसी, प्रोसेस और प्रैक्टिसेज की जांच करना था। इसका मकसद इनमें किसी तरह की कमी का पता लगाना था।

आरबीआई ने गोल्ड लोन पोर्टफोलियो रिव्यू करने को कहा था

आरबीआई ने यह पाया था कि कुछ बैंकों और एनबीएफसी के गोल्ड लोन पोर्टफोलियो में तेज ग्रोथ दर्ज हुई है। इसके बाद उसने बैंकों और एनबीएफसी को अपने पोर्टफोलियो पर करीबी नजर रखने को कहा था। केंद्रीय बैंक ने बैंकों और एनबीएफसी को थर्ड पार्टी सर्विस प्रोवाइडर्स और आउटसोर्स की गई एक्टिविटीज पर भी पूरा नियंत्रण बनाए रखने को कहा है। गोल्ड लोन एनबीएफसी-बैंक और ग्राहक दोनों के लिए फायदे का सौदा है। बैंक और एनबीएफसी के लिए यह पूरी तरह से सेक्योर्ड लोन है।

अभी ज्यादातर बैंकों की कॉस्ट ऑफ फंड हाई

CSB Bank के नेट इंटरेस्ट मार्जिन पर दबाव के बारे में मंडल ने कहा कि किसी बैंक के कॉस्ट ऑफ फंड में कमी नहीं आ रही है। इस वक्त डिपॉजिट की कॉस्ट ज्यादा है। इसलिए कॉस्ट ऑफ फंड भी ज्यादा है। ज्यादातर बैंकों को तिमाही दर तिमाही आधार पर नेट इंटरेस्ट मार्जिन में चैलेंज का सामना करना पड़ा है। वे बढ़ती डिपॉजिट कॉस्ट का बोझ ग्राहकों पर नहीं डाल पा रहे हैं क्योंकि बैंकों के बीच प्रतियोगिता काफी ज्यादा है। आगे नेट इंटरेस्ट मार्जिन इसी लेवल पर बना रहेगा या उसमें चौथी तिमाही से थोड़ी वृद्धि दिख सकती है।



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