पिछले कुछ सालों में गोल्ड लोन (Gold Loan) की लोकप्रियता बढ़ी है। इसकी कई वजहे हैं। इस लोन का इंटरेस्ट रेट कम है। ज्यादा डॉक्युमेंट्स देने की जरूरत नहीं पड़ती है। पैसा जल्द ग्राहक के बैंक अकाउंट में आ जाता है। लेकिन, दूसरे लोन के मुकाबले इस लोन की अवधि कम होती है। यह अवधि आम तौर पर 6 महीने से 24 महीनों के बीच होती है। यह सेक्योर्ड कैटेगरी का लोन है, क्योंकि बैंक या वित्तीय संस्थान आपका सोना गिरवी रखने के बाद आपको लोन देता है। सेक्योर्ड लोन होने की वजह से बैंकों और एनबीएफसी की इस लोन में ज्यादा दिलचस्पी होती है। दूसरी तरह, कम इंटरेस्ट रेट की वजह से ग्राहक को भी यह ठीक लगता है। लोन नहीं चुकाने पर क्या होता है? कई बार ऐसी स्थिति आ जाती है जब ग्राहक लोन का पैसा नहीं चुका पाता है। ग्राहक के तय अवधि में पैसा नहीं चुकाने पर बैंक या एनबीएफसी सख्त कदम उठाने को मजबूर हो जाती हैं। वे पहले ग्राहक को कई बार रिमाइंडर भेजती हैं। इसके बाद भी ग्राहक के पेमेंट नहीं करने पर उनके पास गिरवी रखे सोने को नीलाम करने का विकल्प होता है। जब ग्राहक गोल्ड लेता है तो बैंक या एनबीएफसी उसके साथ कॉन्ट्रैक्ट करता है। कॉन्ट्रैक्ट की शर्त में लोन का रीपेमेंट नहीं होने पर गिरवी रखे सोने को नीलाम करने का विकल्प शामिल होता है। दरअसल, बैंक या एनबीएफसी सोने को नीलाम कर लोन का अपना पैसा वसूलने की कोशिश करती हैं। यह भी पढ़ें : BSE में एक पेनी स्टॉक की कीमत एक ही दिन में 2 रुपये से 149 रुपये पहुंच गई, जानिए इसके पीछे की पूरी कहानी सोने की नीलामी से बचने का है रास्ता नीलामी के लिए पहले से नियम और शर्तें तय हैं। बैंक और एनबीएफसी को इनका पालन करना होता है। सोने की नीलामी से दो हफ्ते पहले बैंक या एनबीएफसी को ग्राहक को इस बारे में बताना जरूरी है। अगर ग्राहक नहीं चाहता है कि गिरवी रखे उसके सोने की नीलामी हो तो वह बैंक से संपर्क कर पैसे लौटा सकता है। अगर ग्राहक पूरा पैसा नहीं लौटा सकता है तो वह बैंक को अपनी मजबूरी बता सकता है। बैंक उसे आंशिक पेमेंट की इजाजत दे सकता है। ग्राहक बैंक या एनबीएफसी से पैसे लौटाने के लिए अतिरिक्त समय मांग सकता है। लोन नहीं चुकाने पर क्रेडिट स्कोर खराब होता है गोल्ड लोन नहीं चुकाने पर ग्राहक के क्रेडिट स्कोर पर खराब असर पड़ता है। बैंक और गोल्ड लोन कंपनियां ग्राहक के पैसे समय पर नहीं चुकाने पर क्रेडिट ब्यूरो को इस बारे में जानकारी भेजती हैं। इस वजह से क्रेडिट स्कोर पर इसका असर देखने को मिलता है। पहला, ग्राहक का क्रेडिट स्कोर घट जाता है। दूसरा, इससे भविष्य में उसे बैंक या एनबीएफसी से लोन लेने में दिक्कत आ सकती है। अगर ऐसे ग्राहक को बैंक या एनबीएफसी लोन देने के लिए तैयार हो जाती है तो उसका इंटरेस्ट रेट काफी ज्यादा होता है।
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