पिछले कुछ सालों में रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए NPS बेस्ट ऑप्शन के रूप में सामने आई है। कई लोग इस स्कीम में इसलिए इनवेस्ट करते हैं क्योंकि इसके टैक्स बेनेफिट्स अट्रैक्टिव हैं। इसके बावजूद कई इनवेस्टर्स इस स्कीम में उपलब्ध टैक्स ब्रेक का पूरा लाभ नहीं उठा पाते। दरअसल, अगर आपका एंप्लॉयर (कंपनी जिसमें आप काम करते हैं) NPS कॉर्पस में आपकी बेसिक सैलरी का 10 फीसदी तक कंट्रिब्यूट करे तो यह अमाउंट टैक्स के दायरे में नहीं आएगा। लेकिन, एंप्लॉयीज में भी इसका फायदा उठाने के लिए उत्साह का अभाव रहा है। PFRDA के चेयरमैन दीपक मोहंती ने जून में मनीकंट्रोल से बातचीत में कहा था कि एनपीएस में बहुत संभावनाएं हैं, लेकिन इसका अभी सीमित इस्तेमाल हो रहा है। उन्होंने बताया था कि पीएफआरडीए ने करीब 13,000 कंपनियों को इस स्कीम से जोड़ा है। लेकिन इस स्कीम में ज्यादा एंप्लॉयीज दिलचस्पी नहीं दिखा रहे। यह भी पढ़ें : ज्यादा प्रॉफिट के लिए आप ऑनलाइन डब्बा ट्रेडिंग के जाल में तो फंसने नहीं जा रहे? जानिए कैसे पर्दे के पीछे होता है यह धंधा आइए हम जानने की कोशिश करते हैं कि अगर आपका एंप्लॉयर अगर आपके एनपीएस अकाउंट में कंट्रिब्यूट करता है तो आपको किस तरह फायदा होगा। NPS में टैक्स डिडक्शंस अगर आप स्वेचछा से एनपीएस में कंट्रिब्यूट करते हैं तो आप इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80सी के तहत डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं। इसके लिए आपको इनकम टैक्स की ओल्ड रीजीम का इस्तेमाल करना होगा। एंप्लॉयी के रूप में अगर आप आप अपनी बेसिक सैलरी के 10 फीसदी तक और डियरनेस अलाउन्स कंट्रिब्यूट करते हैं तो आप सेक्शन 80CCD(1) के तहत डिडक्शन का दावा कर सकते हैं। आप एनपीएस में बतौर इंडिविजुअल भी कंट्रिब्यूट कर सकते हैं। बतौर एक एंप्लॉयी कंट्रिब्यूट करना जरूरी नहीं है। लेकिन, आपका डिडक्शन सेक्शन 80सी के तहत उपलब्ध 1.5 लाख रुपये की लिमिट से ज्यादा नहीं होगा। इसके अलावा आप सेक्शन 80CCD(1B) के तहत अतिरिक्त 50,000 रुपये का टैक्स बेनेफिट क्लेम कर सकते हैं। इन दो फायदों के बारे में आम तौर पर लोग जानते हैं। कॉर्पोरेट स्कीम के तहत मिलने वाले टैक्स बेनेफिट्स का फायदा बहुत कम एंप्लॉयीज उठाते हैं। इसकी वजह यह है कि इस बेनेफिट्स के बारे में लोगों को पता नहीं है। सेक्शन 80CCD(1B) की मदद से आप अपनी टैक्स लायबिलिटी काफी कम कर सकते हैं। शर्त यह है कि इसके लिए आपके एंप्लॉयर को आपके NPS अकाउंट में कंट्रिब्यूट करना होगा। यह बेनेफिट इनकम टैक्स की ओल्ड और न्यू दोनों रीजीम में उपलब्ध है। कौन कर सकता है इनवेस्ट? रेजिडेंट इंडियंस, NRI और ओवरसीज सिटीजंस ऑफ इंडिया (OCI) कॉर्पोरेट स्कीम के तहत एनपीएस सब्सक्राइबर के रूप में अपना रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। 18 से 70 साल की उम्र की कोई व्यक्ति खुद को कॉर्पोरेट स्कीम में अपने एंप्लॉयर के जरिए रजिस्ट्रेशन करा सकता है। अगर आप पहले से एनपीएस सब्सक्राइबर के रूप में रजिस्टर्ड हैं तो आप अपना पर्मानेंट रिटायरमेंट अकाउंट नंबर (PRAN) अपने एंप्लॉयी को शेयर कर सकते हैं। वह अपना कंट्रिब्यूशन इसके जरिए आपके अकाउंट में कर सकता है। इसलिए अगर आप सैलरीड एंप्लॉयी हैं और आपका कॉस्ट-टू-कंपनी स्ट्रक्चर ऐसा है, जिसमें एप्लॉयर आपके एनपीएस में कंट्रिब्यूट करता है तो आप अपनी बेसिक सैलरी (बेसिक प्लस डीए) के 10 फीसदी तक डिडक्शन के हकदार होंगे। अगर आप गवर्नमेंट एंप्लॉयी हैं तो यह डिडक्शन और ज्यादा 14 फीसदी होगा। आपके अपने कंट्रिब्यूशन पर आपको सेक्शन 80CCD(1) और 80CCD(1B) के तहत डिडक्शन मिलता रहेगा। इनकम टैक्स की नई रीजीम में कई तरह के डिडक्शंस और एग्जेम्प्शंस खत्म कर दिए गए है। लेकिन नई रीजीम में भी एनपीएस में एंप्लॉयर के कंट्रिब्यूशन पर टैक्स एग्जेम्प्शन को बनाए रखा गया है। अगर आप ओल्ड रीजीम को सेलेक्ट करते हैं तो आपको सेक्शन 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये तक के डिडक्शन की इजाजत होगी। आप 80CCD(1B) के तहत 50,000 रुपये के डिडक्शन का भी दावा कर सकते हैं। यह ध्यान में रखना जरूरी है कि आपका एंप्लॉयर आपके ईपीएफ अकाउंट में अपने कंट्रिब्यूशन के अलावा आपके एनपीएस अकाउंट में कंट्रिब्यूशन कर सकता है। एंप्लॉयी और एंप्लॉयर को दोनों में से किसी एक का चुनाव करने की मजबूरी नहीं है।
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