Friday, March 10, 2023

इजरायल में आम जनता के साथ सेना के जवान भी कर रहे प्रदर्शन! PM बेंजामिन नेतन्याहू को किया गया एयरलिफ्ट, जानें पूरा मामला

Israel Protests: इजरायल में जनवरी से सैकड़ों हजारों प्रदर्शनकारी प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू (Benjamin Netanyahu) की अति-दक्षिणपंथी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। ये विरोध प्रदर्शन इजरायल के इतिहास में सबसे बड़े विरोध प्रदर्शनों में से एक बन गए हैं और देश के कई प्रसिद्ध चेहरे भी इसके समर्थन में आ गए हैं। गुरुवार को, प्रदर्शनकारियों ने नेतन्याहू की रोम यात्रा में रुकावट पैदा करने योजना बनाई। ये प्रदर्शन न्यायपालिका में आमूल-चूल परिवर्तन की सरकार की योजना के खिलाफ के खिलाफ हो रहे हैं। प्रदर्शनाकरियों ने नेतन्याहू की यात्रा के दौरान प्रदर्शन को "तानाशाही के प्रतिरोध का दिन" बताया है। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि देश की न्यायपालिका में बदलाव के सरकार के फैसले से हाई कोर्ट की स्वतंत्रता कमजोर होगी और और एक बेकाबू बहुसंख्यक शासन की स्थिति पैदा होगी। इन प्रदर्शनों में लड़ाकू पायलटों का एक गुट हड़ताल पर है। तकनीकी कर्मचारियों ने भी काम बंद कर दिया है, और पूर्व प्रधान मंत्री भी विरोध में शामिल हो गए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, द इजराइली सेंटर फॉर पब्लिक अफेयर्स के को-डायरेक्टर येहुदा शॉल कहते हैं, "यह सिर्फ एक और दक्षिणपंथी सरकार नहीं है।" इतना ही नहीं प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को सड़क के रास्ते देश के मेन इंटरनेशनल एयरपोर्ट तक नहीं पहुंचने दिया, जिसके बाद उन्हें एयरलिफ्ट कर एयरपोर्ट पहुंचा गया। शॉल के अनुसार, इजरायली सरकार एक साथ दो क्रांतियां शुरू कर रही है। सरकार विरोधी ये प्रदर्शन ऐसे समय हो रहे हैं, जब इजरायल और फिलिस्तीनियों के बीच भीषण हिंसा जारी है। इजरायल के अधिकारी वेस्ट बैंक के शहरों और गांवों पर घातक हमले कर रहे हैं। इस दौरान एक सैन्य हमला भी किया गया, जिसमें मंगलवार को छह फिलिस्तीनियों की मौत हो गई थी। सरकार न्यायपालिका में लाने चाहती है ये बदलाव शुरुआत से ही इजरायली सरकार ने होई कोर्ट में अहम बदलाव करने की मांग की है। इससे अदालत के पास संसद या उससे जुड़े किसी भी फैसले की जांच और उसमें हस्तक्षेप की शक्ति खत्म हो सकती है। इसके साथ ही ये जजों को नियुक्त करने वाले 9 लोगों की समिति में सरकारी सांसदों और अधिकारी को हस्तक्षेप करने की भी शक्ति देगा। इसके अलावा ये बदलाव एक संसदीय प्रणाली में स्वतंत्र न्यायपालिका की शक्ति को कमजोर कर देंगे। दूसरी तरफ इन बदलावों का समर्थन करने वाले, जैसे इजराइली शिक्षाविदों के एक समूह ने हाल ही में समर्थन में एक खुला पत्र जारी कर कहा है कि अदालत बहुत शक्तिशाली हो गई है। भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे मलेशिया के पूर्व PM मुहीदीन यासिन गिरफ्तार, जानें क्या है आरोप लेकिन, इज़राइल डेमोक्रेसी इंस्टीट्यूट के एक हालिया सर्वे के अनुसार, "66 प्रतिशत इजराइली सोचते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के पास एक कानून को रद्द करने की शक्ति होनी चाहिए।" इस बीच एक चौंकाने वाली बात ये भी सामने आई कि देश के एलीट स्क्वाड्रन के लड़ाकू पायलट भी न्यायपालिका में होने वाले इन बदलावों के विरोध में आ गए हैं। उन्होंने अपनी रेगुलर रिजर्व ट्रेनिंग पर नहीं जाने की धमकी दी है। दूसरे कई अफसरों ने भी खुले पत्र लिखकर चेतावनी दी है कि वे सरकार के इस फैसले के बाद ड्यूटी पर नहीं जाएंगे। कई यहूदी इजराइलियों का मानना है कि सेना सुरक्षा के एक गढ़ का प्रतीक है, जिसे राजनीति से बाहर रहना चाहिए। इन कार्रवाइयों ने सरकार के प्रस्ताव के विरोधियों और समर्थकों के बीच ध्रुवीकरण को और बढ़ा दिया है।

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