सरकार के लिए फाइनेंशियल ईयर 2023-24 विनिवेश (Disinvestment) के लिहाज से चैलेंजिंग रहने की उम्मीद है। खासकर उसे दो सरकारी बैकों के निजीकरण में दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी Fitch Ratings ने यह अनुमान जताया है। अगले साल लोकसभा के चुनाव भी होने वाले हैं। सरकार चुनाव से पहले कोई ऐसा कदम नहीं उठाएगी, जिससे विपक्ष को उस पर निशाना साधने का मौका मिल जाए। फाइनेंशियल ईयर 2021-22 के बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दो सरकारी बैंको के निजीकरण का ऐलान किया था। सीतारमण ने एक सरकारी जनरल इंश्योरेंस कंपनी के निजीकरण का भी ऐलान किया था। नीति आयोग ने दो सरकारी बैंकों के नाम तय किए थे। लेकिन इस पर काम आगे नहीं बढ़ पाया है। अगले साल चुनावों का पड़ सकता है असर फिच में एशिया सॉवरेन रेटिंग्स के डायरेक्टर Jeremy Zook ने कहा है, "अगले फाइनेंशियल ईयर में डिसइनवेस्टमेंट से जुड़ी ज्यादा गतिविधियां देखने को नहीं मिलेगी। चुनाव के साल को देखते हुए दो सरकारी बैंकों के निजीकरण में सरकार को चैलेंज का सामना करना पड़ सकता है।" उम्मीद है कि लोकसभा चुनाव अगले साल मई में होंगे। BJP और विपक्ष के दलों ने अभी से इसकी तैयारी शुरू कर दी है। यह भी पढ़ें : Federal Reserve के फैसले का इंडिया में इनवेस्टर्स पर क्या असर पड़ेगा? विनिवेश के लिए अनुकूल समय नहीं Zook ने कहा, "ऐसा लगता है कि पिछले दो साल में विनिवेश को लेकर सरकार के टारगेट पूरी नहीं हुए हैं। विनिवेश के लिहाज से फाइनेंशियल ईयर 2022-23 सरकार के मुश्किल भरा रहा। ग्लोबल मार्केट में उतार-चढ़ाव और अनिश्चितता को देखते हुए सरकार ने विनिवेश के लिए सक्रियता नहीं दिखाई। सरकार को लगा कि यह सरकारी कंपनियों में हिस्सेदारी बेचने का सही समय नहीं है।" विनिवेश के लक्ष्य में परिवर्तन फाइनेंशियल ईयर 2022-23 में सरकार ने विनिवेश से 65,000 करोड़ रुपये जुटाने का टारगेट रखा था। बाद में इसे रिवाइज कर 50,000 करोड़ रुपये कर दिया था। फाइनेंशियल ईयर 2023-24 के लिए सरकार ने विनिवेश का 51,000 करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा है। जहां तक रेलवे के निजीकरण की बात है तो सरकार एसेट मॉनेटाइजेशन पाइपलाइन पर जोर दे रही है। सरकार अपने कुछ इंफ्रास्ट्रक्चर एसेट्स को बेचकर फिस्कल प्रेशर कम करने की कोशिश कर रही है। Zook का कहना है कि अभी यह पता नहीं है कि एसेट मॉनेटाइजेशन पाइपलान से सरकार को कितने पैसे जुटाने में मदद मिली है। इंडियन रेलवे को 2023-24 में एसेट मॉनेटाइजेशन से करीब 30,000-40,000 करोड़ रुपये जुटाने की जरूरत पड़ेगी। कैपिटल एक्सपेंडिचर के लिए यह जरूरी है।
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