घरेलू मार्केट में सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाले इंडेक्स की बात करें तो बीएसई (BSE) और और एनएसई (NSE) की तुलना में BSE SME IPO इंडेक्स मीलों आगे है। BSE SME IPO Index को 2014 में लॉन्च किया गया था और यह बीएसई एसएमई प्लेटफॉर्म के कंपनियों के परफॉरमेंस को ट्रैक करता है। इस इंडेक्स ने पिछले 10 वर्षों में 17250 फीसदी रिटर्न दिया यानी कि इस इंडेक्स में 2013 की शुरुआत में लगाए हुए 1 हजार रुपये की वैल्यू आज 1.72 लाख रुपये हो जाती। यह इंडेक्स सालाना 67.45 फीसदी की कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट (CAGR) से बढ़ा है। पिछले पांच साल में यह 63.59 फीसदी की सीएजीआर और तीन साल में तो 140 फीसदी की सीएजीआर से बढ़ा है। हालांकि इतने तगड़े रिटर्न के मुताबिक एसएमई सेग्मेंट से मुनाफा कमाना आसान नहीं है। एक्सपर्ट्स भी ऐसा ही मानते हैं। रिटर्न तगड़ा लेकिन रिस्क भी बहुत, स्टॉक खोजना कठिन हेम सिक्योरिटीज में पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज के प्रमुख मोहित निगम के मुताबिक इतने तगड़े रिटर्न के बावजूद एसएमई सेग्मेंट से मुनाफा कमाना आसान नहीं है। इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि इस सेग्मेंट में स्टॉक्स खोजना खुदरा निवेशकों के लिए बहुत कठिन टास्क है। वेल्थटेक प्लेटफॉर्म फिज्डम के रिसर्च हेड नीरव करकेरा के मुताबिक एसएमई सेग्मेंट के स्टॉक्स को लेकर पब्लिक डोमेन में जानकारी बहुत अधिक नहीं रहती है तो ऐसे में निवेश के लिए सही मौके का पता लगाना काफी मुश्किल होता है। इसके अलावा जिस स्टॉक में आज तेजी का रुझान है, उसमें कल भी तेजी जारी रहे, यह नहीं कहा जा सकता है। BharatPe Losses: अकाउंटिंग ने 811 करोड़ के घाटे को बना दिया 5594 करोड़ का, समझें क्या है पूरा मामला, कब सुधरेगी स्थिति? लिक्विडिटी की समस्या एसएमई सेग्मेंट के स्टॉक को लेकर खास रिसर्च उपलब्ध नहीं है तो एसएमई प्लेटफॉर्म पर जो भी अधिकतर खुदरा निवेशक आते हैं, वे दोस्तों या सोशल मीडिया के टिप्स के भरोसे आते हैं। जब मार्केट में तेजी का रुझान रहता तो ऐसे स्टॉक्स में खुदरा निवेशक पैसे डालते हैं लेकिन चूंकि इनके शेयरों की संख्या कम रहती और मांग ज्यादा तो कीमतें बढ़ती ही जाती हैं। हालांकि निगम ने एसएमई सेग्मेंट में प्राइस मैनिपुलेशन के बारे में कोई भी जानकारी होने से इनकार किया है। हालांकि उन्होंने सावधान किया है कि अगर कीमतें गिरने लगे और लिक्विडिटी खत्म हो जाए तो जिन निवेशकों ने पोर्टफोलियो को डाइवर्सिफाई नहीं किया है, उनकी पूंजी फंस जाएगी। करकेरा ने सुझाव दिया है कि किसी स्टॉक में निवेश से पहले लिक्विडिटी को सबसे पहले चेक करना चाहिए। Mulibagger Stock: लिस्टिंग के बाद से ही अपर सर्किट पर यह स्टॉक, 12 दिनों में 311% बढ़ गई पूंजी रिटर्न के लिए सबसे बड़ा रिस्क माइग्रेशन के वक्त बीएसई-एनएसई पर लिस्टिंग के लिए आईपीओ लाने का प्रोसेस बहुत लंबा है तो छोटी कंपनियों बीएसई एसएमई प्लेटफॉर्म के जरिए मेनबोर्ड पर एंट्री करती हैं। बीएसई एसएमई और एनएसई एसएमई पर लिस्टिंग के एक साल बाद कंपनियों को इस इंडेक्स से बाहर कर दिया जाता है। इसके बाद ये मेनबोर्ड एक्सचेंज में शामिल हो जाती हैं यानी कि बीएसई-एनएसई पर आ जाती हैं। इसी माइग्रेशन के दौरान अधिकतर शेयरों में भारी गिरावट का रुझान दिखा है। इसे EKI Energy के उदाहरण से समझ सकते हैं। जब यह एसएमई प्लेटफॉर्म पर था तो शेयर 9000 फीसदी तक उछल गए लेकिन जब यह मेनबोर्ड पर आया तो 43 फीसदी गिर गया। इसी प्रकार Suyog Telematics, Sunstar Realty और DJ Mediaprint & Logistics भी माइग्रेशन के बाद फिसले हैं। हालांकि हमेशा ऐसा ही हो ये जरूरी नहीं क्योंकि Chemcrux Enterprises और Lancer Container Lines जैसी कंपनियों में माइग्रेशन के बाद भी तेजी आई है। ऐसे में निगम के मुताबिक जिस कंपनी का ट्रैक रिकॉर्ड, मैनेजमेंट अच्छा हो और जो अपने रेवेन्यू और ग्रोथ के लक्ष्यों को हासिल करने में सक्षम हो, उसमें ही निवेश का फैसला लें। करकेरा के मुताबिक ऐसी कंपनियों में निवेश से पहले सबसे अधिक जोर मैनेजमेंट की क्षमता और कंपनी की अर्निंग्स की क्वालिटी पर दें। डिस्क्लेमर: मनीकंट्रोल.कॉम पर दिए गए सलाह या विचार एक्सपर्ट/ब्रोकरेज फर्म के अपने निजी विचार होते हैं। वेबसाइट या मैनेजमेंट इसके लिए उत्तरदायी नहीं है। यूजर्स को मनीकंट्रोल की सलाह है कि कोई भी निवेश निर्णय लेने से पहले हमेशा सर्टिफाइड एक्सपर्ट की सलाह लें।
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