रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए NPS और PPF अच्छे विकल्प हैं। दोनों स्कीमों को सरकार का सपोर्ट हासिल हैं। दोनों में टैक्स बेनिफिट भी उपलब्ध है। सवाल है कि दोनों में से कौन आपको लिए बेहतर है? इस सवाल के जवाब के लिए हमें दोनों स्कीमों के बीच के फर्क को समझना होगा। इसे जानने के बाद आप आसानी से यह तय कर सकेंगे कि दोनों में से कौन सी स्कीम आपके लिए सही रहेगी। NPS (National Pension Scheme) एक मार्केट लिंक्ड स्कीम है। इस स्कीम का रिटर्न फंड मैनेजर के परफॉर्मेंस पर निर्भर करता है। इसके रिटर्न के बारे में पहले से नहीं बताया जा सकता। इसके उलट PPF (Public Provident Fund) इनवेस्टमें का एक फिक्स्ड रिटर्न ऑप्शन है। इसका मतलब है कि इस स्कीम में निवेश करने से पहले आपको पता होता है कि आपका रिटर्न क्या होगा। यह भी पढ़ें : अभी नौकरी शुरू की है? जानिए कैसे आप फाइनेंशियली इंडिपेंडेंट बन सकते हैं एनपीएस में आप रिस्क लेने की अपनी क्षमता के हिसाब से इनवेस्टमेंट का विकल्प चुन सकते हैं। इसके लिए इनवेस्टर के लिए कुछ ऑप्शंस हैं। पहले ऑप्शन में 50 साल की उम्र तक का कोई सब्सक्राइब 75 फीसदी इक्विटी निवेश का ऑप्शन सेलेक्ट कर सकता है। दूसरे ऑप्शन में कॉर्पोरेट बॉन्ड में 100 फीसदी पैसा लगाया जा सकता है। तीसरे ऑप्शन में गवर्नमेंट सिक्योरिटीज में पैसे लगाने का विकल्प होता है। आपका रिटर्न इस बात पर निर्भर करेगा कि आपने कौन सा विकल्प चुना है। पीपीएफ में सब्सक्राइबर के लिए कोई विकल्प नहीं होता है। इसका रिटर्न आम तौर पर सालाना 7-8 फीसदी के बीच होता है। सरकार हर तिमाही पीपीएफ के इंटरेस्ट रेट की समीक्षा करती है। फाइनेंशियल मार्केट की स्थितियों के मुताबिक इसका इंटरेस्ट रेट बढ़ या घट सकता है। अभी पीपीएफ का इंटरेस्ट रेट सालाना 7.1 फीसदी है। एनपीएस आपकी उम्र 60 साल होने पर मैच्योर हो जाता है। मैच्योरिटी पर आपको कुछ अमाउंट एकमुश्त मिल जाता है। बाकी का निवेश आपको एन्युटी के लिए करना पड़ता है। इसी से आपको हर महीने पेंशन मिलती है। स्कीम के दौरान सब्सक्राइबर को 25 फीसदी पैसा मैच्योरिटी से पहले निकालने की इजाजत है। यह सुविधा अकाउंट ओपन करने के तीन साल बाद मिलेगी। स्कीम के पीरियड में सब्सक्राइबर मैक्सिमम तीन बार पैसा निकाल सकता है। इसके लिए कुछ शर्तें तय हैं। पीपीएफ 15 साल में मैच्योर होता है। सातवें साल से इसमें भी पार्शियल विड्रॉल की सुविधा है। आप चाहें तो पीपीएफ अकाउंट में जमा अपने पैसे पर लोन भी ले सकते हैं। इसका इंटरेस्ट रेट पीपीएफ में जमा आपके पैसे पर मिलने वाले इंटरेस्ट रेट से एक फीसदी ज्यादा होता है। एनपीएस और पीपीएफ दोनों में निवश पर टैक्स छूट मिलती है। इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80सी के तहत यह छूट मिलती है। आप दोनों में या किसी एक में एक वित्त वर्ष में अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक का निवेश कर टैक्स डिडक्शन का लाभ उठा सकते हैं। सेक्शन 80सीसीडी (1बी) के तहत एनपीएस में अतिरिक्त 50,000 रुपये का डिडक्शन उपलब्थ है। 60 साल की उम्र होने पर आप एनपीएस से 60 फीसदी पैसा निकाल सकते हैं, जो टैक्स-फ्री होगा। बाकी 40 फीसदी का निवेश आपको एन्युटी में करना होगा। इससे मिलने वाली पेंशन पर आपको टैक्स देना होगा। टैक्स के लिहाज से पीपीएफ को EEE का दर्जा हासिल है। इसका मतलब यह है कि इस स्कीम में निवेश के किसी स्टेज पर टैक्स नहीं लगता है। मैच्योरिटी अमाउंट पर भी किसी तरह का टैक्स नहीं देना होगा। अगर आप जोखिम ले सकते हैं तो आप एनपीएस में निवेश के बारे में सोच सकते हैं। थोड़ा जोखिम लेकर ज्यादा रिटर्न हासिल करने वाले इनवेस्टर के लिए यह स्कीम अच्छी है। उधर, पीपीएफ में जोखिम ना के बराबर है। दूसरा फायदा यह कि आपको पता रहता है कि 15 साल के बाद आपको कितने पैसे मिलेंगे।
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