Sunday, July 10, 2022

Anti Hindu Violence Bill: संसद के मानसून सत्र में 'हिंदू विरोधी हिंसा' मुद्दे पर लाया जा सकता है प्रस्ताव

रिपोर्ट -शंकर आनंद Anti Hindu Violence Bill: संसद (Parliament) के मानसून सत्र (Mosoon Session) में इस बार कई अहम प्रस्तावों पर चर्चा होगी। मगर राजनीतिक गलियारों के वरिष्ठ नेताओं की अगर मानें, तो 18 जुलाई से शुरू होने वाले संसद के विशेष सत्र में 'हिंदू विरोधी हिंसा' (Anti Hindu Violence) से जुड़ा एक प्रस्ताव पेश किया जा सकता है। दरअसल पिछले कुछ समय के दौरान कई राज्यों में एक धर्म विशेष के चरमपंथियों ने हिंदू धर्म से जुड़े लोगों पर एक सोची समझी साजिश के तहत हमला किया। इस वजह से कई राज्यों के अंदर कानून व्यवस्था और शांति व्यवस्था पर उसका असर पड़ा है। बात चाहे राजस्थान के उदयपुर में हुए कन्हैयालाल हत्याकांड (Kanhaiyalal Murder case) की हो या महाराष्ट्र के अमरावती इलाके में उमेश कोल्हे हत्याकांड (Umesh Kolhe Murder) हो। लिहाजा इस मसले पर संसद के पटल पर सरकार प्रस्ताव पेश कर सकती है। उसके बाद सरकार की तरफ से ये कोशिश की जाएगी कि इस मसले पर विपक्षी राजनीतिक पार्टियां भी इस प्रस्ताव का स्वागत और समर्थन करें। पहले सर्वदलीय बैठक में होगी रूपरेखा संसद का मानसून सत्र शुरू होने के पहले केंद्र सरकार की तरफ से ये कोशिश की जाएगी कि सर्वदलीय बैठक के दौरान विपक्षी पार्टियों के वरिष्ठ नेताओं को इस प्रस्ताव पर एकजुटता और आम राय बने। हालांकि, ये मसला उतना आसान नहीं है ,क्योंकि कई राजनीतिक पार्टी इस प्रस्ताव का विरोध करेंगे और कई राजनीतिक पार्टी के नेता इस प्रस्ताव का विरोध करते हुए संसद सत्र से बाहर भी जा सकते हैं। देश में हिंदूवादी लोगों की टारगेट किलिंग अपने आप में बहुत बड़ा मसला बनता जा रहा है। इस लिहाज से इस प्रस्ताव का मानसून सत्र में उस प्रस्ताव को ध्वनिमत से पारित करवाने के लिए कई बड़े राजनेता विशेष रणनीति तैयार कर रहे हैं । केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह दे सकते हैं बयान सूत्र के मुताबिक, इस मानसून सत्र में देश के केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह हिंदुओं की टारगेट किलिंग के मसले पर संसद सत्र दौरान बयान भी जारी कर सकते हैं। भारतीय जनता पार्टी (BJP) नियम 193 के तहत चर्चा कराने के लिए नोटिस संसदीय सचिवालय को देगी। Maharashtra: 'कोई नहीं ले सकता शिवसेना का चिन्ह', CM शिंदे को उद्धव ठाकरे की चुनौती, मध्यावधि चुनाव की मांग उस प्रस्ताव पर जवाब देने के लिए ध्वनिमत से पारित किया जाएगा। इस प्रस्ताव पर कौन सी राजनीतिक पार्टी समर्थन करेगी और कौन विरोध ये देखना भी बेहद दिलचस्प होगा। कई हिंदुओं की टारगेट किलिंग करने वाले कई चरमपंथी संगठनों के खिलाफ देश में लोगों के बीच बेहद गुस्से वाला माहौल बनता हुआ दिख रहा है। आम लोग इस मसले पर शख़्त कानून व्यवस्था की मांग कर रहे हैं।

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