यह साल स्टॉक मार्केट (Stock Markets) के इनवेस्टर्स के लिए अच्छा नहीं रहा है। पिछले दो महीने में Sensex और Nifty 9-9 फीसदी लुढ़क चुके हैं। इस साल अब तक दोनों सूचकांकों में 6-6 फीसदी गिरावट आई है। इस दौरान BSE Midcap Index 11 फीसदी गिरा है, जबकि BSE Smallcap Index 13 फीसदी लुढ़का है। उधर, RBI के एक से ज्यादा बार इंटरेस्ट रेट बढ़ाने की उम्मीद से बॉन्ड यील्ड (Bond Yield) में उछाल है। 10 साल के सरकार बॉन्ड की यील्ड मई की शुरुआत से करीब 0.40 फीसदी बढ़ चुकी है। ऐसे में इनवेस्टर्स को यह समझ नहीं आ रहा कि उन्हें कहां निवेश करना ठीक रहेगा। DSP Mutual Fund के चीफ एग्जिक्यूटिव अफसर कल्पेन पारेख का कहना है कि ऐसे माहौल में इनवेस्टर्स को ऐसे इनवेस्टमेंट ऑप्शंस में पैसे लगाने चाहिए जिनमें अलग-अलग मार्केट साइकिल में परफॉर्म करने की क्षमता हो। उन्होंने कहा कि लंबी अवधि में रिस्क-एडजस्टेड रिटर्न हासिल करने के लिए आपको एसेट एलोकेशन करना चाहिए। इनवेस्टर्स इसके लिए डायनेमिक एसेट एलोकेशन फंड का इस्तेमाल कर सकते हैं। जब स्टॉक मार्केट में शेयरों सस्ते होते हैं तो यह फंड शेयरों में निवेश बढ़ा देता है। जब स्टॉक मार्केट में शेयरों की कीमतें ज्यादा होती है तो यह फंड बॉन्ड में निवेश बढ़ा देता है। इस फंड का एक्सपोजर दोनों के बीच अपने आप एडजस्ट होता रहता है। यह काम खुद इनवेस्टर अनुशासित तरीके से नहीं कर सकते। उन्होंने बताया कि इनवेस्टर्स डायनेमिक एसेट एलोकेशन फंड या हाइब्रिड फंड में इनवेस्ट कर सकते हैं। इनमें 70 फीसदी इक्विटी और 30 फीसदी डेट एलोकेशन होता है। सरकार की इस खास स्कीम में मिल रहा 6% से ज्यादा ब्याज, हर छह महीने में बदलती है दर, जानिए डिटेल पारेख ने कहा कि कुछ सालों में एक बार ऐसा वक्त आता है, जब बिजनेस साइकिल सबसे लो लेवल पर पहुंच जाता है। इस वजह से स्टॉक के प्राइसेज भी गिरकर ऑल टाइम लो पर आ जाते हैं। आम तौर पर यह वक्त लंबा नहीं होता है। उदाहरण के लिए 2008-09 की फाइनेंशियल क्राइसिस को लिया जा सकता है। फिर 2012-13 में भी स्लोडाउन आया था। फिर कोरोना की शुरुआत में ऐसा देखने को मिला। इस दौरान तेज करेक्शन आता है, क्योंकि भविष्य अनिश्चित दिखाई देता है। लेकिन, इनवेस्टर्स इस वक्त का इस्तेमाल शेयरों में निवेश बढ़ाने के लिए कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि इनवेस्टर्स के सामने दूसरा विकल्प एसेट एलोकेशन फंड्स हैं। एसेट एलोकेशन फंड में फिक्स्ड पार्ट आम तौर पर करीब 60 फीसदी होता है। इसका करीब 25 फीसदी आर्बिट्रॉज में होता है। फिक्स्ड इनकम कॉर्पस का ज्यादा हिस्सा मैच्योरिटी बॉन्ड में लगाया जाता है, जिसमें इंटरेस्ट रेट कम होता है। ऐसे बॉन्ड पर इंटरेस्ट रेट बढ़ने का कम असर पड़ता है। दरअसल इंटरेस्ट रेट में वृद्धि ऐसे बॉन्ड के लिए अच्छा होता है। इनवेस्टर्स कमोडिटी में भी निवेश कर सकते हैं, जब इसकी कीमतें कम हों। अभी कमोडिटी की कीमतें बहुत ऊपर हैं। कमोडिटी कंपनियों का प्रॉफिट भी बढ़ा है। हालांकि, सोने का प्रदर्शन हालिया समय में बहुत अच्छा नहीं रहा है। इसलिए इनवेस्टर्स सोने में निवेश बढ़ा सकते हैं।
from HindiMoneycontrol Top Headlines https://ift.tt/Q2Ya6l5
via 
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
- 
The device would be introduced on Amazon India and its pre-bookings would start on January 15. from Top Tech News- News18.com http://bit.l...
 - 
The number of Covid-19 deaths globally has been dropping for the past three weeks from Top World News- News18.com https://ift.tt/uex9Mhf
 - 
Business software group SAP forecast flat revenue and a decline in operating profit in 2021, as it released preliminary annual results that ...
 
No comments:
Post a Comment