Pakistan Crisis: इमरान खान (Imran Khan) ने सोमवार को कार्यवाहक प्रधान मंत्री के लिए पाकिस्तान के पूर्व मुख्य न्यायाधीश (CJP) गुलजार अहमद (Gulzar Ahmed) को नॉमिनेट किया था। इसके तुरंत बाद बार एसोसिएशन ने गुलजार अहमद से इस प्रस्ताव को ठुकराने और कार्यवाहक प्रधान मंत्री का पद स्वीकार न करने की अपील की। सिंध हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने इस सिलसिले में अहमद को पत्र भी लिखा है। CNN-News18 ने इस पत्र के हवाले से बताया, बार एसोसिएशन ने इसमें डिप्टी स्पीकर की तरफ से अविश्वास प्रस्ताव को खारिज किए जाने के बाद, खान की सलाह पर नेशनल असेंबली को भंग करने की निंदा की। इसमें कहा गया, "अहमद को कार्यवाहक पीएम नियुक्त किए जाने के फैसले से भी एसोसिएशन नाराज है, क्योंकि वह केवल दो महीने पहले ही पाकिस्तान के चीफ जस्टिस के पद से रिटायर हुए हैं।" इसमें कहा गया है कि अहमद अगर इस पद को स्वीकार करते हैं, तो उनके इस फैसले को "अध्यक्ष और PTI सरकार के बेशर्मी से किए गए अवैध और असंवैधानिक कामों का समर्थन करने के बराबर माना जाएगा।" एसोसिएशन ने कहा कि संवैधानिक संकट के लिए एक फुल बेंच के सामने मामले की सुनवाई जरूरी है, ताकि सुप्रीम कोर्ट भविष्य के पीएम को अविश्वास प्रस्ताव के दौरान असंवैधानिक काम करने से रोकने के लिए कानून बना सके। 'विदेशी साजिश के सनकी बहाने' बार ने माना है कि अध्यक्ष की तरफ से "विदेशी साजिश के सनकी बहाने" पर एक चुनी हुई संसद को बर्खास्त करना, पूरी तरह से उनके अधिकार क्षेत्र के बाहर है। इसमें कहा गया है कि अध्यक्ष के पास 4 प्रांतों के चुने हुए 200 सांसदों को विदेशी साजिश के एजेंट घोषित करने और उनकी निंदा करने के बहाने "अविश्वास प्रस्ताव" को खारिज करने की कोई पावर नहीं है। इस सब के विरोध में एसोसिएशन ने 5 अप्रैल को काम से पूरे दिन की हड़ताल की घोषणा भी की थी। बता दें कि जस्टिस अहमद सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की उस बेंच का हिस्सा थे, जिसने पनामा पेपर्स मामले (Panama Papers Case) में पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को अयोग्य करार दिया था। Sri Lanka Crisis: पद संभालने के एक दिन बाद ही नए वित्त मंत्री ने दिया इस्तीफा, पढ़ें इस पूरे संकट से जुड़े पांच बड़े घटनाक्रम वह बेंच के उन दो जजों में से एक थे, जिनकी राय थी कि शरीफ देश के प्रति ईमानदार नहीं थे और उन्हें पद से अयोग्य घोषित कर दिया जाना चाहिए। इस संकट के बीच, कार्यवाहक पीएम को अस्थायी आधार पर तब तक सरकार चलानी होगी, जब तक कि देश में वोटिंग के जरिए नए प्रधानमंत्री का चुनाव नहीं हो जाता। संविधान में कहा गया है कि राष्ट्रपति नेशनल असेंबली के भंग होने के बाद, प्रधान मंत्री और विपक्ष के नेता के सुझाव से एक कार्यवाहक सरकार की नियुक्ति करेंगे। वहीं अगर दोनों पक्ष आम सहमति तक नहीं पहुंचते हैं, तो राष्ट्रपति पाकिस्तान के चुनाव आयोग की सलाह से एक कार्यवाहक प्रधान मंत्री चुन सकते हैं।
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