श्रीलंका (Sri Lankan Crisis) में हालात लगातार बिगड़ रहे हैं। देश के कई हिस्सों में सरकार के विरोध में लोगों के सड़कों पर उतरने की खबरें आ रही हैं। 2. 2 करोड़ आबादी वाली देश ने पहले कभी ऐसा मंजर नहीं देखा था। लोगों को जरूरी चीजें तक नहीं मिल रही हैं। बिजली कटौती (Power Cut in Sri Lanka) से लोग बेहाल हैं। अस्पतालों में पर्याप्त दवाइयां तक उपलब्ध नहीं हैं। लोग मदद के लिए सरकार की तरफ देख रहे हैं और सरकार दुनिया की तरफ। श्रीलंका में संकट बढ़ा तो इंडिया को होगा नुकसान श्रीलंका की सरकार को सबसे पहले फ्यूल, गैस, दवाइयों का इंतजाम करना होगा। फिर, बिजली की सप्लाई ठीक करनी होगी। अगर ये चीजें जल्द सामान्य नहीं हुई तो लोगों का गुस्सा बढ़ सकता है। ऐसा होने पर गृह युद्ध की स्थिति पैदा हो सकती है। यह इंडिया के लिए भी अच्छा नहीं होगा। इसकी वजह यह है कि श्रीलंका में बड़ी संख्या में तमिल रहते हैं। हालात बिगड़ने पर ये इंडिया में शरण लेंगे। कुछ तमिल पहले ही श्रीलंका से तमिलनाडु आ चुके हैं। विरोध प्रदर्शन अब उग्र रूप लेने लगा है सरकार विरोधी लोगों का प्रदर्शन लगातार बढ़ रहा है। कोलंबो में ऐसे एक प्रदर्शन के उग्र रूप ले लेने की खबर है। इससे श्रीलंका के टूरिज्म इंडस्ट्री को बहुत नुकसान होगा। शनिवार को हजारों प्रदर्शनकारियों ने कोलंबो में राष्ट्रपति के कार्यालय के नजदीक पहुंच गए। पिछले दिनों में यह सबसे उग्र प्रदर्शन था। प्रदर्शनकारियों में बड़ी संख्या में मुस्लिम शामिल हैं। वे सड़क के बीच बैठ रोजा खोल रहे हैं। यह बहुत भयानक है। प्रदर्शनों में राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षा के खिलाफ नारे लग रहे हैं। उन्हें सत्ता छोड़ने के लिए कहा जा रहा है। कई लोग सरकार की तरफ से मदद की उम्मीद छोड़ चुके हैं। यह भी पढ़ें : मार्च में कंज्यूमर कॉन्फिडेंस बढ़ा, महंगाई के अनुमान में भी हुई हल्की बढ़त:RBI survey जल्द चाहिए 3 अरब डॉलर की विदेशी आर्थिक मदद श्रीलंका के फाइनेंस मिनिस्टर अली साबरी ने कहा है कि अगर जल्द आर्थिक मदद नहीं मिली तो स्थिति बेकाबू हो सकती है। श्रीलंका को क्राइसिस से उबरने के लिए करीब 3 अरब डॉलर की मदद की जरूरत है। अगर यह पैसा उसे मिल जाता है तो कम से कम छह महीने के लिए दवाइयों का इंतजाम हो जाएगा और लोगों को जरूरी चीजें उपबल्ध कराई जा सकेंगी। आईएमएफ से जल्द शुरू होगी बातचीत साबरी को फाइनेंस मिनिस्टर बने कुछ ही दिन हुए हैं। उन्होंने अपने देश को संकट से निकालने वाले उपायों के बारे में सोचना शुरू कर दिया है। इस महीने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से फाइनेंशियल असिस्टेंस के लिए बातचीत शुरू हो जाएगी। श्रीलंका के बाक आईएमएफ की मदद लेने के सिवाय दूसरा कोई रास्ता नहीं बचा है। लोगों को भुखमरी से बचाने के अलावा श्रीलंका की सरकार पर डिफॉल्ट का खतरा भी मंडरा रहा है। कर्ज चुकाने के लिए इस साल 7 अरब डॉलर की जरूरत जुलाई में उसे 1 अरब डॉलर के कर्ज का पेमेंट करना है। जेपी मॉर्गन की एक रिपोर्ट के मुताबिक श्रीलंका को कर्ज चुकाने के लिए इस साल 7 अरब डॉलर की जरूरत पड़ेगी। करेंट अकाउंट डेफिसिट करीब 3 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि डिफॉल्ट करने पर श्रीलंका की मुश्किलें और बढ़ जाएंगी। नए फाइनेंस मिनिस्टर डिफॉल्ट से बचने के लिए हर मुमिकन रास्ता अपनाने को तैयार हैं। विदेशी इनवेस्टर्स से सरकार ने लिया है 12 अरब डॉलर का कर्ज श्रीलंका के केंद्रीय बैंक के मुताबिक, श्रीलंका ने सॉवरेन बॉन्ड के जरिए फॉरेन इनवेस्टर्स से 12.6 अरब डॉलर जुटाए हैं। मार्च के अंत में श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार घटकर सिर्फ 1.9 अरब डॉलर रह गया है। यह रकम जरूरी चीजों के इंपोर्ट के लिए काफी नहीं है। इंडिया का यह पड़ोसी देश कई चीजों के लिए इंपोर्ट पर निर्भर है। 18 अप्रैल को अमेरिका जाएंगे फाइनेंस मिनिस्टर साबरी आईएमएफ से बातचीत के लिए 18 अप्रैल को वाशिंगटन जाने वाले हैं। उनके साथ अधिकारियों का एक समूह होगा। इसके अलावा सरकार विदेशी कर्ज की रीस्ट्रक्चरिंग पर फोकस करना चाहती है। इसके लिए फाइनेंशियल और लीगल एडवाइजर्स की टीम तैयार की जा रही है। यह टीम सरकार को कर्ज रीस्ट्रक्चरिंग के बारे में सलाह देगी। बंद हो चुके हैं विदेश से मदद के रास्ते शुक्रवार को श्रीलंका के केंद्रीय बैंक ने इनफ्लेशन को तेजी से बढ़ने से रोकने के लिए इंट्रेस्ट रेट को 7 फीसदी बढ़ा दिया। सरकार रेटिंग एजेंसियों से भी बातचीत करना चाहती है। दरअसल, 2020 के बाद से रेटिंग एजेंसियां कई बार श्रीलंका की रेटिंग घटा चुकी हैं। इसकी रेटिंग इतनी गिर गई है कि श्रीलंका की सरकार के लिए विदेश से कर्ज लेना मुमकिन नहीं रह गया है।
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