Friday, April 1, 2022

जुलाई से पहले ब्रोकर आपको दोबारा सिप रजिस्ट्रेशन के लिए कह सकता है, जानिए क्यों

क्या आप स्टॉक ब्रोकर या ऑनलाइन डिस्ट्रिब्यूटर के जरिए म्यूचुअल फंड्स की स्कीम में इनवेस्ट करते हैं। अगर हां तो आपका ब्रोकर या डिस्ट्रिब्यूटर जल्द आपसे संपर्क कर सकते हैं। वे आपको दोबारा रजिस्ट्रेशन के लिए कह सकते हैं। इसकी वजह सेबी का एक रूल है। सेबी ने अक्टूबर 2021 में अपने एक नियम में बदलाव किया था। सेबी का मानना है कि कोई म्यूचुअल फंड डिस्ट्रिब्यूटर, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म, स्टॉक ब्रोकर या इनवेस्टमेंट एडवाइजर्स इनवेस्टर्स का पैसा फंड हाउस को ट्रांसफर करने से पहले अपने बैंक अकाउंट में नहीं रख सकता। इसका मकसद पैसे के दुरुपयोग की संभावना खत्म करना है। सेबी ने म्यूचुअल फंड कंपनियों को पहले 1 अप्रैल, 2022 से इस नियम का पालन करने को कहा था। अब यह डेडलाइन बढ़ाकर 1 जुलाई कर दी गई है। यह भी पढ़ें : भारतीय शेयर बाजारों को अर्निंग्स में दिखी “उम्मीद”, जंग और वॉलेटिलिटी के बीच बड़ी राहत सेबी के इस नियम के पालन के लिए म्यूचुअल फंडों को अपने कामकाज में थोड़ा बदलाव करना होगा। इस नियम की डेडलाइन से पहले इनवेस्टर्स सहित सभी पक्षों को थोड़ी दिक्कत हो सकती है। दरअसल, अधिकांश सिप निवेशकों को वन-टाइम मैनडेट पर हस्ताक्षर करने होते हैं। हालांकि, मौजूदा कई मैनडेट डिस्ट्रिब्यूटर्स के नाम में है, लेकिन फंड हाउसेज ने पेमेंट एग्रीगेटर्स से एक समझौता किया है। इसके तहत फंड हाउसेज पेमेंट एग्रीगेटर्स और डिस्ट्रिब्यूटर्स को यह कहते हैं कि इनवेस्टर्स से लिया गया पैसा सीधे फंड हाउस के बैंक अकाउंट में क्रेडिट किया जाए। पहले यह पैसा इंटरमीडियरी के बैंक अकाउंट में जाता था। फिर इंटरमीडियरी यह पैसा फंड हाउस के बैंक अकाउंट में ट्रांसफर करता था। एक प्रमुख फंड हाउस के सीनियर अफसर ने बताया कि अब ऐसे सभी सिप रुक जाएंगे, जिनमें इनवेस्टर्स का पैसा स्टॉक ब्रोकर्स के पास रखा जाता है। नए सिस्टम में पूल अकाउंट की व्यवस्था खत्म हो जाएगी। अगर आपके सिप में आपके इनवेस्टमेंट का पैसा पहले ब्रोकर के बैंक अकाउंट में जाता है तो आपका ब्रोकर आपको फिर से सिप रजिस्ट्रेशन के लिए कह सकता है। इस रजिस्ट्रेशन के जरिए आप फंड हाउस या क्लियरिंग कॉर्पोरेशन को यह अधिकार देंगे कि पैसा आपके बैंक अकाउंट से सीधे म्यूचुअल फंड के अकाउंट में ट्रांसफर हो जाए। नया सिप मैनडेट फंड हाउस के नाम से होगा या एक्सचेंज के क्लियरिंग कॉर्पोरेशन के नाम से होगा।

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