Budget 2022 : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने मंगलवार को आम बजट, 2022-23 पेश करते हुए अगले साल के लिए इनकम टैक्स रिटर्न (income tax returns) से जुड़े एक नए नियम की घोषणा की। नए नियम के तहत इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) की गलती सुधारने के लिए वन टाइम विंडो उपलब्ध होगी। टैक्सपेयर्स संबंधित असेसमेंट ईयर के अंत तक के लिए अतिरिक्त कर के भुगतान पर दो साल के भीतर अपडेटेड रिटर्न फाइल कर सकते हैं। इसके लिए शर्त यह है कि अतिरिक्त इनकम पर बकाया इंट्रेस्ट और टैक्स पर अतिरिक्त 25 से 50 फीसदी टैक्स टैक्सपेयर्स को चुकाना होगा। Budget 2022: क्रिप्टोकरेंसी पर क्यों लगा 30% टैक्स, क्या इसे सट्टेबाजी मान रही सरकार? जानिए पूरी डिटेल कुछ लोग अपडेटेड रिटर्न के लिए नहीं होंगे इलिजिबिल हालांकि, बजट मेमोरैंडम के मुताबिक, कुछ टैक्सपेयर्स नए प्रोविजन के तहत अपडेटेड रिटर्न करने के लिए इलिजिबिल नहीं होंगे। नए प्रावधान में शर्त यह है कि टैक्सपेयर्स की इनकम टैक्स लायबिलिटी में किसी तरह की कमी नहीं होनी चाहिए। इसका मतलब है कि आप अगर रिटर्न में किसी इनकम के बारे में बताना भूल गए हैं तो आपको उस इनकम को रिटर्न में शामिल करने की इजाजत मिलेगी। लेकिन, अगर आपको लगता है कि आपने रिटर्न में किसी ऐसी इनकम के बारे में बताया है, जिसका वजूद नहीं है यानी गलती से ऐसा हुआ है तो फिर आपको अपने रिटर्न को अपडेट करने की सुविधा नहीं मिलेगी। Budget 2022: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के वो 6 ऐलान, जो सीधे आपकी जेब पर डालेंगे असर इस स्थिति में भी नहीं लागू होगा नया प्रोविजन अगर टैक्सपेयर्स के खिलाफ सर्च या सर्वे की कार्रवाई शुरू कर दी गई है। किसी धन, बुलियन, ज्वैलरी या वैल्युएबिल आर्टिकल या वस्तु, जब्ती के संबंध में नोटिस जारी कर दिया गया है या कुछ जानकारी मांगी गई है। कॉरपोरेट टैक्सपेयर्स ने जाहिर की थी यह चिंता लाइवमिंट की एक रिपोर्ट में, टैक्स ऐंड रेगुलेटरी सर्विसेज बीडीओ इंडिया के पार्टनर और लीडर प्रणय भाटिया ने कहा, “कॉरपोरेट टैक्सपेयर्स ने टैक्स रिटर्न में संशोधन के लिए उपलब्ध सीमित समय को लेकर चिंताएं जाहिर की थीं। फाइनेंस बिल में इसे स्वीकार करते हुए अपडेटेड टैक्स रिटर्न के लिए समयसीमा बढ़ाने का प्रस्ताव किया गया है। हालांकि, वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में इस बात का उल्लेख नहीं किया कि दिखाई गई अतिरिक्त आय पर टैक्स और इंटरेस्ट पर 25-50 फीसदी अतिरिक्त कर का भुगतान करना होगा। भले ही इससे टैक्सपेयर्स को व्यापक रिपोर्टिंग सुनिश्चित करने का एक और मौका मिलता है, लेकिन अभी यह देखना बाकी है कि क्या यह एक अतिरिक्त कर है या क्या इससे स्वैच्छिक रूप से टैक्स कंप्लायंस को प्रोत्साहन मिलेगा।”
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